चैता की चैत्वाली गायक अमित सागर द्वारा गाया गया एक गढ़वाली गीत है। यह गीत उत्तराखण्ड के पारम्परिक "चैत्वाली" लोकगीतों पर आधारित है। दिसम्बर २०१७ में किशन महिपाल के "फ्यूंलड़िया" को पीछे छोड़कर यह यू्-ट्यूब पर सबसे ज्यादा सुना जाने वाला गढ़वाली ऑडियो गीत बन गया।[1]

निर्माण संपादित करें

चैत्वाली चैत के महीने में गाए जाने वाले विशेष गीतों को कहा जाता है। उत्तराखण्डी लोककथाओं के अनुसार चैत के महीनों में खिले फूलों को देखकर आछरी (परी) नृत्य करने लगती है।[2] इसलिए इन गीतों को आछरी जागर भी कहा जाता है। १९६०-७० के दशक में आकाशवाणी नजीबाबाद केंद्र के निदेशक स्व. केशव अनुरागी और गढ़वाल के महान लोक गायक रहे स्व. चंद्र सिंह राही ने इन चैत्वाली गीतों से प्रेरित होकर "आछरी जागर" नामक गीत गाया था, जो उस समय अतिलोकप्रिय रहा।[3][4]

गायक अमित सागर ने २०१२ में अपने मित्र अनिल चन्दोला के साथ मिलकर दक्षिण भारतीय गीत "कोलावेरी दी" का गढ़वाली रीमेक बनाया था।[5] इस गीत की प्रसिद्धि देखकर उन्होंने चंद्र सिंह राही को श्रद्धांजली स्वरूप एक अन्य गीत बनाकर यूट्यूब पर अपलोड करने का सोचा।[6] गीत का संगीत गुंजन डंगवाल ने दिया है, और इसमें ढोल-दमाऊ तथा मोछंग के साथ गिटार, ड्रम तथा ट्रांस संगीत का फ्यूज़न है।[7] इसके बाद ९ मार्च २०१७ को उन्होंने यूट्यूब पर इस गीत का ऑडियो जारी किया। ६ मिनट १२ सेकंड के इस गीत के बोल वसंत ऋतु के आगमन, परी की सुंदरता के वर्णन तथा देवी-देवताओं के महिमामंडन से परिपूर्ण हैं।[8]

रिलीस तथा प्रसिद्धि संपादित करें

९ मार्च २०१७ को गायक अमित सागर ने फिर इसे नए अंदाज में गाकर जारी किया, जिसे श्रोताओं में भरपूर प्रसिद्धि प्राप्त हुई।[9] २५ मार्च २०१८ को देहरादून के उत्तरांचल प्रेस क्लब में प्रख्यात लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी और प्रीतम भरतवाण ने इस गीत के वीडियो का संयुक्त रूप से विमोचन किया।[10] रिलीज के पहले ही दिन इस गीत के वीडियों को साठ हजार से अधिक लोगों ने यूट्यूब पर देखा था।[11] इस गीत की शूटिंग श्रीनगर, पौड़ी, रुद्रप्रयाग व आसपास के क्षेत्रों में हुई है।[12]

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने इस गीत के पारंपरिक तथा समकालीन संगीत के फ्यूज़न को "प्रभावशाली" बताते हुए कहा कि यह श्रोताओं को अपनी लय द्वारा प्रभावित करने में सफल रहा।[13] चंदन सिंह भंडारी और प्रीतम भरतवाण ने भी अमित सागर के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि "इस गीत ने राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश में व विश्व स्तर पर छाप छोड़ी है।"[14]

टिप्पणियां संपादित करें

  1. अमर उजाला, २२ दिसम्बर २०१७
  2. अमर उजाला, १८ जुलाई २०१७
  3. अमर उजाला, १८ जुलाई २०१७
  4. दैनिक जागरण, १० फरवरी २०१८
  5. द स्टेट्समैन, २५ फरवरी २०१८
  6. द स्टेट्समैन, २५ फरवरी २०१८
  7. हिंदुस्तान टाइम्स, १९ जुलाई २०१७
  8. द स्टेट्समैन, २५ फरवरी २०१८
  9. अमर उजाला, २२ दिसम्बर २०१७
  10. नवोदय टाइम्स, २५ मार्च २०१८
  11. दैनिक जागरण, २५ मार्च २०१८
  12. दैनिक जागरण, २५ मार्च २०१८
  13. द स्टेट्समैन, २५ फरवरी २०१८
  14. नवोदय टाइम्स, २५ मार्च २०१८

सन्दर्भ संपादित करें

  • "यू्-ट्यूब पर सबसे ज्यादा सुना जा रहा यह गढ़वाली गीत". देहरादून: अमर उजाला. २२ दिसम्बर २०१७. मूल से 31 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ मार्च २०१८.
  • गुसाईं, राजू (२५ फरवरी २०१८). "Musical sensation" [संगीत सनसनी] (अंग्रेज़ी में). देहरादून: द स्टेट्समैन. मूल से 31 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ मार्च २०१८.
  • पन्त, नेहा (१९ जुलाई २०१७). "New-age artistes from U'khand are taking online world by storm" [उत्तराखण्ड से नए युग के कलाकार ऑनलाइन दुनिया में तूफान ला रहे हैं] (अंग्रेज़ी में). हिंदुस्तान टाइम्स. अभिगमन तिथि ३१ मार्च २०१८.
  • "यूट्यूब पर उत्तराखंड के अमित की धूम". देहरादून: अमर उजाला. १८ जुलाई २०१७. मूल से 31 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ मार्च २०१८.
  • "नेगी और भरतवाण ने लांच किया सागर के 'चैता की चैत्वाली' का वीडियो". देहरादून: नवोदय टाइम्स. २५ मार्च २०१८. मूल से 1 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ मार्च २०१८.
  • "यूट्यूब पर धमाल मचा रहा चैत की चैत्वाली का वीडियो". देहरादून: दैनिक जागरण. २५ मार्च २०१८. मूल से 1 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ मार्च २०१८.
  • पाण्डे, गणेश (१० फरवरी २०१८). "सोशल मीडिया पर उत्तराखंडी लोकगीतो के अच्छे दिन". हल्द्वानी: दैनिक जागरण. मूल से 1 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३१ मार्च २०१८.