चौघडिया भारत के पश्चिम राज्यों में किया जाता है। क्रय-विक्रय करने के लिये इस मुहुर्त का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत समय को रोग, उद्धोग, चर, लाभ, अमृत, काल, शुभ, चाल आदि में बांटा जाता है। चौघडिया मुहूर्त क्योंकि सूर्योदय पर आधारित है, इसलिये प्रत्येक शहर के लिये इसके समय में बदलाव आता रहता है।

भारतीय एव्ं वेदिक रितियों के अनुसार दरशाया गया एक चोघडिया

'चौघडिया क्या है

चौघडिया में 24 घण्टों को 16 घटियों में बांटां जाता है। एक घटी (घडी) लगभग 22 मिनट 20 सैकेन्ड की होती है। एक मुहूर्त में चार घटियां (घडियां) ली जाती है। चार घटियों से ही इसका नाम "चौघडी" पड़ा है। इस प्रकार के 08 मुहूर्त दिन में तथा 08 मुहूर्त रात्रि में आते हैं। इसमें प्रत्येक मुहुर्त लगभग 1.30 घण्टे का होता है। यह मुहूर्त निकालने का सबसे आसान तरीका है। प्रत्येक सप्ताह में दिन -रात्रि के मिलाकर कुल 112 मुहूर्त बनते हैं।

जैसे: मंगलवार के दिन - रोग, उद्दोग, चर, लाभ, अम्रत, काल, शुभ इस क्रम में ये मुहूर्त आते हैं। ये सात प्रकार के होते हैं।

चौघडिया का प्रयोग कब करें?

इन मुहूर्त का प्रयोग, दिन - रात्रि में पूजा का शुभ समय जानने के लिये किया जाता है। विशेष उद्धेश्य के लिये यात्रा का आरम्भ करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। पारिवारिक समारोह व उत्सव मनाने के लिये भी चौघडिया का प्रयोग होने के कारण आज यह विशेष मूहूर्तों की श्रेणी में आ गया है।

चौघडिया में कौन सा मुहुर्त शुभ/ अशुभ होता है?

चौघडिया मुहूर्त में सबसे अधिक अमृ्त, लाभ, शुभ, चर को मध्यम स्तर तक अशुभ माना जाता है। तथा उद्धोग, रोग व काल को अशुभ माना जाता है। इसमें भी अमृ्त समय में पूजा, समारोह करना विशेष शुभता देता है। लाभ समय में क्रय-विक्रय के कार्य, तथा गतिशील वस्तुओं को क्रय करने के लिये चर व शुभ मुहुर्त को प्रयोग किया जा सकता है। इसी प्रकार रोग समय में यात्रा आरम्भ करना इसके नाम के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है।

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