चौबोला

चार पंक्तियों की एक छंद शैली

चौबोला या चौबोल उत्तर भारत और पाकिस्तान की काव्य परम्परा में प्रयोग होने वाली चार पंक्तियों की एक छंद शैली है, जो अक्सर लोक-गीत में प्रयोग की जाती है।

'सुल्ताना डाकू' नामक मशहूर नौटंकी का एक प्रदर्शन - नौटंकियों में चौबोले बहुत प्रयोग होते हैं

चौबोलों का प्रयोग अक्सर नौटंकियों में होता है और इसके कुछ अच्छे उदाहरण 'सुल्ताना डाकू नौटंकी' में मिलते हैं। मिसाल के लिए एक दृश्य में सुल्ताना अपनी प्रेमिका को समझाता है कि वह ग़रीबों की सहायता करने के लिए पैदा हुआ है और इसीलिए अमीरों को लूटता है।[1] उसकी प्रेमिका (नील कँवल) कहती है कि उसे सुल्ताना की वीरता पर नाज़ है (इसमें रूहेलखंड की कुछ खड़ी-बोली है):

सुल्ताना
प्यारी कंगाल किस को समझती है तू?
कोई मुझ सा दबंगर न रश्क-ए-कमर
जब हो ख़्वाहिश मुझे लाऊँ दम-भर में तब
क्योंकि मेरी दौलत जमा है अमीरों के घर
नील कँवल
आफ़रीन, आफ़रीन, उस ख़ुदा के लिए
जिसने ऐसे बहादुर बनाए हो तुम
मेरी क़िस्मत को भी आफ़रीन, आफ़रीन
जिस से सरताज मेरे कहाए हो तुम
सुल्ताना
पा के ज़र जो न ख़ैरात कौड़ी करे
उन का दुश्मन ख़ुदा ने बनाया हूँ मैं
जिन ग़रीबों का ग़मख़्वार कोई नहीं
उन का ग़मख़्वार पैदा हो आया हूँ मैं
सुल्ताना
प्यारी कंगाल किस को समझती है तू?
कोई मुझ-सा दबंग नहीं
जब मेरी मर्ज़ी हो एक सांस में ला सकता हूँ
क्योंकि अमीरों की दौलत पर मेरा ही हक़ है
नील कँवल
वाह, वाह, उस ख़ुदा के लिए
जिसने ऐसे बहादुर बनाए हो तुम
मेरी क़िस्मत को भी वाह, वाह
जिस से सरताज मेरे कहाए हो तुम
सुल्ताना
पा के सोना जो कौड़ी भी न दान करे
ख़ुदा ने मुझे उनका दुश्मन बनाया है
जिन ग़रीबों का दर्द बांटने वाला कोई नहीं
उन का दर्द हटाने वाला बनकर मैं पैदा हुआ हूँ

प्रसिद्ध उर्दू नाटक इंदर सभा के एक दृश्य में देवताओं के राजा इन्द्र अपने दरबार में प्रवेश करते हैं और एक चौबोले में कहते हैं कि:[2]

मूल उर्दू देवनागरी
راجا هوں میں قوم کا اور اِندر میرا نام

بِن پریوں کی دید کے مُجهے نهیں آرام
میرا سنگلدیپ میں مُلکوں مُلکوں راج
جی میرا هے چاہتا کی جلسہ دیکهوں آج

राजा हूँ मैं क़ौम का और इंदर मेरा नाम
बिन परियों की दीद के मुझे नहीं आराम
मेरा संगलदीप में मुल्कों-मुल्कों राज
जी मेरा है चाहता कि जलसा देखूँ आज

इन्हें भी देखें

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  1. Grounds for Play: The Nautanki Theatre of North India, Kathryn Hansen, pp. 139, University of California Press, 1991, ISBN 978-0-520-07273-2, ... The opening chaubola states: 'It was his job to loot the treasuries of the rich / And always bring relief to the poor and helpless.' Somewhat later Sultana declares his mission to be that of an equalizer sent by God: 'For those who have found wealth and given not a penny to charity, God has made me the enemy. / For those who are poor and have no consoler, I have been born to share their sorrows.' ...
  2. Changing South Asia: City and culture, Kenneth Ballhatchet, David D. Taylor, Centre of South Asian Studies, The School of Oriental & African Studies, University of London, 1984, ... Raja Indar at first performs a dance and then sings a chaubola, in which he proclaims, Raja hun main quam ka ...