पंडित छन्नूलाल मिश्र (जन्म 3 अगस्त 1936) भारतीय शास्त्रीय गायक हैं। उत्तर प्रदेश केआज़मगढ़ ज़िले में जन्मे मिश्र की कर्मभूमि बनारस रहा है और ये किराना घराना और बनारस घराना की गायकी के प्रतिनिधि कलाकार हैं। इन्हे कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।

पण्डित छन्नूलाल मिश्र प्रस्तुति देते हुए (पुणे, १७ जुलाई २००९)

आरंभिक जीवन संपादित करें

छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को हरिहरपुर, यूपी के आजमगढ़ जिले में हुआ था। उनके दादा, गुदई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। मिश्रा ने छह साल की उम्र में ही अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की बारीकियां सीखी। छन्नूलाल मिश्रा को नौ साल की उम्र में उनके पहले गुरू उस्ताद गनी अली साहब ने खयाल सिखाया।

उन्होंने पहले अपने पिता, बद्री प्रसाद मिश्रा के साथ संगीत सीखा और तब किराना घराने के 'उस्ताद अब्दुल गनी खान' ने उन्हें शिक्षित किया। उसके बाद ठाकुर जयदेव सिंह ने उन्हें प्रशिक्षित किया।

गायकी संपादित करें

वे ठुमरी के लब्धप्रतिष्ठ गायक हैं। वे किराना घराना और बनारस गायकी के मुख्‍य गायक हैं। उन्‍हें खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है। उनकी सांगीतिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में हुई। चतुर्भुज स्थान में एक कोठरी में रह कर संगीत साधना करते थे। वे किराना व बनारस दोनों घराने से जुड़े सधे हुए कुशल गायक हैं।

यहां उनकी साधना को कोई खास मुकाम नहीं मिला। अपनी उपेक्षा से विवश होकर करीब 4 दशक पूर्व वाराणसी चले गए।

वहां जाकर अपनी संगीत साधना की धार को और तेज किया। पं. छन्नूलाल मिश्र किराना व बनारस घराने के मिश्रित ठुमरी गायक हैं।

वे खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती गायकी के लिए भी प्रसिद्ध रहे हैं।

पुरस्कार एवं सम्मान संपादित करें

  • वर्ष 2020 में पद्म विभूषण, वर्ष 2010 में पद्मभूषण वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
  • छन्नूलाल मिश्रा आल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में शीर्ष ग्रेड कलाकार रह चुके है।
  • आप संस्कृति मंत्रालय (उत्तर-केंद्रीय) सरकार के सदस्य भी हैं।