छाछ, मट्ठातक्र (Buttermilk) एक पेय है जो दही से बनता है। मूलत: दही को मथनी से मथकर घी निकालने पर बचे हुए द्रव को छाछ कहते थे। आजकल दूध के किण्वन से बने हुए अनेक पेय भी छाछ की श्रेणी में गिने जाते हैं। ये पेय घर्म जलवायु वाले देशों (जैसे भारत) में बहुत लोकप्रिय हैं।

छाछ  
व्यंजन का ब्यौरा
भोजन पेय
परोसने का तापमान ठण्डा
मुख्य सामग्री दही

आयुर्वेद में तक्र को बहुत उपयोगी माना गया है। आयुर्वेद के एक आचार्य का कथन है-

भोजनान्ते पिबेत्‌ तक्रं, दिनांते च पिबेत्‌ पय:।
निशांते पिबेत्‌ वारि: दोषो जायते कदाचन:।

अर्थात् भोजन करने पर छाछ, दिनान्त अर्थात सायंकाल को दूध, निशांत अर्थात सवेरे पानी पीने वाले के शरीर में कभी भी किसी प्रकार का दोष व रोग नहीं होता। इसलिए भोजन करने पर मट्‌ठा पीना स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है।

छाछ में सेंधा नमक मिलाकर पीने से बवासीर रोग में लाभ होता है।

वैसे तो इसकी माँग पूरे वर्ष होती है, परन्तु घर्मी के समय में यह अधिक होती है क्योंकि इससे पेट और शरीर को ठण्डक मिलती है और ऋतु की तीव्रता से भी बचाव होता है।

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