छायानुवाद करते समय अनुवादक मूल कृति की छाया ग्रहण कर मुक्त अनुवाद करता है। I इसमें मूल पाठ पूरा बदल दिया जाता है। स्थान,नाम,संदर्भ बदल कर छायानुवाद किया जाता है। छायानुवाद ऐसे अनुवाद को कहा जाना चाहिए जो शब्दानुवाद की तरह मूल शब्दों का अनुसरण ना करे अपितु दोनो हि दृष्टियों (शब्दतः भावतः) से मूल से मुक्त होकर उसकी छाया लेकर चले ।