छिन्नमस्ता भगवती सप्तरी जिला के राजविराज से दक्षिण सीमावर्ती क्षेत्र छिन्नमस्ता के सखडा गाम में स्थित है। छिन्नमस्ता भगवती मनोकामना पूर्ण कनेवाली शक्तिपीठो में से एक पीठ माना जाता है और नेपाल एबं भारत के बिहार के जनता के लिये बड़ा आस्था का केन्द्र माना जाता है। [1]
प्राचिन इतिहास और मान्यता के अनुसार, सन् १०९७ में मुसलमान आक्रमण कालमें कर्नाटक के कर्नाटवंशी राजा नान्यदेव भाग के पाटली पुत्र होते हुवे मिथिला आ गया था सिम्रौनगढ (बारा) में अपनि राजधानी कायम करने के लिये। यही नान्यदेव वंश के पाँचवा पिढी के शक्रसिंह देव राजा हुआ था। वो नाबालक पुत्र हरिसिंह देव के राजगद्दी पे राखने के निर्वासित जीवन बिताने के लिये सप्तरी आये थे। उस बखत जंगल से भरा हुआ यह स्थान में जंगल सफा करते समय मिला भगवती मूर्ति को वो अपनी कुलदेवी के रूपमें स्थापना किया और अपने नाम से देवी के नाम शक्रेश्वरी रखा था। देवी के शीर नहीं होने के बजह से कुछ समयके बाद छिन्नमस्ता भगवती नाम रखा गया था। [2]