छुईखदान रियासत

ब्रिटिश कालीन भारत की रियासत, बैरागी राजवंश की रियासत
(छुईखदान महल से अनुप्रेषित)

छुईखदान ब्रितानी काल में भारत की एक देशी रियासत थी। इसे कोंडका भी कहते हैं। भारत की स्वतन्त्रता के बाद यह मध्य प्रदेश में सम्मिलित किया गया था जिसके विभाजन के बाद सम्प्रति यह छत्तीसगढ़ में है। छुईखदान राज्य की स्थापना सन् 1750 में महंत रूप दास बैरागी ने की थी छुईखदान राज्य बैरागी शासकों द्वारा शासित था

छुईखदान रजवाड़ा
of ब्रिटिशकालीन भारत‌ की रियासत
1750–1948
Flag of छुईखदान रियासत
Flag
Capitalछुईखदान
Area 
• 1881
451 कि॰मी2 (174 वर्ग मील)
Population 
• 1881
32,979
Government
महंत 
• 1750–1780
महंत रूप दास बैरागी (प्रथम)
• 
महंत ऋतुपरण किशोर दास (अंतिम)
History 
• Established
1750
• कोंडका विद्रोह (विजय)
1750
• भारतीय संघ में विलय
1948
पूर्ववर्ती
परवर्ती
मराठा साम्राज्य
भारत
Today part ofखैरागढ़-छुईखदान-गंडई, छत्तीसगढ़, भारत
इस रियासत के शासक‌ निर्मोही अखाड़े व निम्बार्क सम्प्रदाय
से संबंधित थे।

यह राज्य 174 वर्ग मील का था जिसमें से 27,907 एकड़ में खेती होती थी तथा 48,538 एकड़ खेती योग्य था। सन 1870 में इस राज्य में 120 गाँव थे जिनकी कुल जनसंख्या 13,281 थी। 1941 में इस राज्य की जनसंख्या 32,731 थी।

छुईखदान रियासत के शासक बैरागी संप्रदाय के थे और महंत (कुंवर) की उपाधि धारण हैं।

छुईखदान मूल रूप से नागपुर के भोंसले के अधीन थे, सन् 1750 में महंत रूप दास छुईखदान के पहले प्रमुख बने। हालांकि, मराठों की हार के बाद, महन्तो को 1865 में अंग्रेजों द्वारा सामंती प्रमुखों के रूप में मान्यता दे दी गई थी और महंत लक्ष्मण दास को राजा की उपाधि दी और सनद प्रदान‌ किया। महंत ऋतुपरण किशोर दास ने विलय की संधि पर हस्ताक्षर किए।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

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महंत रूप दास एक कुशल योद्धा थे और वर्ष 1750 में मराठों ने उनको कोडंका नामक जमीदारी पुरस्कार के रूप में दी। महंत रूप दास कृष्ण भक्त थे इसलिए उन्होंने अपनी पूरी रियासत में पारस्परिक अभिवादन के लिए जय गोपाल शब्दों का प्रयोग किया।

देश की स्वतंत्रता प्राप्ति तक बैरागी राजाओं ने इस राज्य पर शासन किया और 1 जनवरी 1948 को छुईखदान रियासतका स्वतंत्र भारत में विलय हो गया। विलय की संधि पर आखिरी राजा महंत ऋतुपरण किशोर दास ने हस्ताक्षर किए। वर्ष 1952 तथा 1957 के आम चुनाव में महंत ऋतुपरण किशोर दास मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। छुईखदान में बैरागी राजाओं का राजमहल आज भी बहुत अच्छी स्थिति में है।

वंशावली
श्रीमंत महंत कार्यकाल
महंत रूप दास बैरागी 1750–1780
महंत तुलसी दास 1780–1812
महंत बालमुकुंद दास 1812-1845
महंत लक्ष्मण दास 1845–1887
महंत श्याम किशोर दास बैरागी 1887-1896
महंत राधा बल्लभ किशोर दास 1896-1898
महंत दिग्विजय युगल किशोर दास 1898-1903
महंत भूधर किशोर दास 1903-1940
महंत ऋतु पर्ण किशोर दास 1940-1947
महंत घनश्याम किशोर दास नाममात्र शासक
महन्त गिरिराज किशोर दास वर्तमान शासक

इन्हें भी देखें

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