जगदेकमल्ल
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कल्याणी के चालुक्य वंश में जगदेकमल्ल के विरुद (यश या प्रर्शसासुचक पदवी) वाले तीन नरेश हुए हैं। जयसिंह द्वितीय (1015-42 ई.) ने सर्वप्रथम इस विरुद को धारण किया। अतएव यह 'जगदेकमल्ल प्रथम' के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
कल्याणी के चालुक्य वंश में जगदेकमल्ल के विरुद (यश या प्रर्शसासुचक पदवी) वाले तीन नरेश हुए हैं। जयसिंह द्वितीय (1015-42 ई.) ने सर्वप्रथम इस विरुद को धारण किया। अतएव यह 'जगदेकमल्ल प्रथम' के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।