जगन्नाथ सम्राट
ॱ पंडित जगन्नाथ सम्राट (1652–1744) भारत के जाने-माने खगोलविद एवं गणितज्ञ थे। वे आमेर के महाराजा द्वितीय जयसिंह के दरबार में सम्मानित वैज्ञानिक थे। यह संस्कृत, पालि, प्राकृत, गणित, खगोलशास्त्र, रेखागणित, वैदिक अंकगणित आदि के तो धुरंधर विद्वान थे ही, साथ ही उन्होंने अरबी और फारसी भाषाएँ भी सीखी ताकि इस्लामिक खगोलशास्त्र के ग्रंथों का अध्ययन कर सकें।
इन्हें सवाई जयसिंह ने जागीरों के अलावा 'गर्गाचार्य' की उपाधि दी थी।[1] एक पुराने आलेख[2] में लिखा है कि सवाई जयसिंह ने २६ॱ५५'२७" अक्षांश उत्तर में जयपुर में जिस महती वेधशाला की स्थापना की थी, उसके इन मुख्य यंत्रों का निर्माण इन्होने ही किया था-
- सम्राट यन्त्र (लघु),
- नाडी-वलय-यन्त्र,
- कांति-वृक्ष-यन्त्र,
- यंत्रराज,
- दक्षिणोदक-भित्ति-यन्त्र,
- उन्नतांश-यन्त्र,
- जयप्रकाश-यन्त्र,
- सम्राट-यन्त्र (दीर्घ),
- षष्टाश यंत्र,
- कपालीवलय यन्त्र,
- राशिवलय यन्त्र,
- चक्र यंत्र,
- राम यन्त्र,
- दिगंश यन्त्र आदि।
इस पुस्तक और चन्द्रमहल पोथीखाना के अभिलेखों के अनुसार पंडित जगन्नाथ सम्राट जयपुर नगर की स्थापना किये जाने के समय राजगुरु होने के नाते नगर के शिलान्यास-संस्कार के मुख्य पुरोहित थे।
कृतियाँ
संपादित करें- रेखागणित - यूक्लिड के 'द एलिमेन्ट्स' का अनुवाद (नासिर अल-दीन अल-तुसी द्वारा 'द एलिमेंट्स' के अरबी अनुवाद से)
- सिद्धान्तसारकौस्तुभ - Almagest के अरबी रूप का अनुवाद
- सिद्धान्तसम्राट - astrolabe आदि खगोलीय यंत्रों पर
- यन्त्रप्रकार - astrolabe आदि खगोलीय यंत्रों पर
सन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- The Rekhaganita Sanskrit text with English introduction. Two volumes. (PDF)
- JAGANNATH SAMRAT'S OUTSTANDING CONTRIBUTION TO INDIAN ASTRONOMY[मृत कड़ियाँ]
- Jagannātha Samrāt Rekhaganita Vol I (Euclids Elements Books I - VI )
- Jagannātha Samrāt Rekhaganita Vol II (अध्याय ७ से अध्याय १५ तक)
- सम्राट सिद्धान्त, भाग १ (प्रथम ६ अध्याय)
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