जगन्मोहन मंडल, हिन्दी की एक साहित्यिक संस्था थी जिसका निर्माण काशी के भारतेन्दु मंडल की तर्ज पर हुआ था। इसके संस्थापक भारतेन्दुयुगीन कवि, आलोचक और उपन्यासकार ठाकुर जगन्मोहन सिंह थे। छत्तीसगढ़ में ठाकुर जगमोहनसिंह का साहित्यिक वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने सन् 1880 से 1882 तक धमतरी में और सन् 1882 से 1887 तक शिवरीनारायण में तहसीलदार और मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया। यही नहीं, छत्तीसगढ़ के बिखरे साहित्यकारों को जगन्मोहन मंडल बनाकर एक सूत्र में पिरोया और उन्हें लेखन की सही दिशा भी दी।

जगन्मोहन मण्डल के माध्यम से छत्तीसगढ़ के साहित्यकार शिवरीनारायण में आकर साहित्य-साधना करने लगे। उस काल के अन्यान्य साहित्यकारों के शिवरीनारायण में आकर साहित्य साधना करने का उल्लेख तत्कालीन साहित्य में हुआ है। इनमें रायगढ़ के पं॰ अनंतराम पांडेय, रायगढ़-परसापाली के पं॰ मेदिनीप्रसाद पांडेय, बलौदा के पं॰ वेदनाथ शर्मा, बालपुर के मालगुजार पं॰ पुरूसोत्तम प्रसाद पांडेय, बिलासपुर के जगन्नाथ प्रसाद भानु, धमतरी के काव्योपाध्याय हीरालाल, बिलाईगढ़ के पं॰ पृथ्वीपाल तिवारी और उनके अनुज पं॰ गणेश तिवारी और शिवरीनारायण के पं॰ मालिकराम भोगहा, पं॰ हीराराम त्रिपाठी, गोविंदसाव, महंत अर्जुनदास, महंत गौतमदास, पं॰ विश्‍वेस्‍वर वर्मा, पं॰ ऋषि शर्मा और दीनानाथ पांडेय आदि प्रमुख थे।

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