जनसांख्यिकीय लाभांश अथवा जनांकिकीय लाभ (Demographic dividend) से आशय उस सम्भावित प्रबल आर्थिक विकास से है जो किसी जनसंख्या में काम करने वालों की संख्या तथा उनके ऊपर आश्रित लोगों की संख्या का अनुपात अधिक होने पर मिल सकता है। अर्थात यह अर्थव्यवस्था में मानव संसाधन के सकारात्मक और सतत विकास को दर्शाता है। यह जनसंख्या ढाँचे में बढ़ती युवा एवं कार्यशील जनसंख्या (१५ वर्ष से ६४ वर्ष आयु वर्ग) तथा घटते आश्रितता अनुपात के परिणामस्वरूप उत्पादन में बड़ी मात्रा के सृजन को प्रदर्शित करता है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (UNFPA) ने जनसांख्यिकीय लाभांश की निम्नलिखित परिभाषा की है-

किसी जनसंख्या के आयुगत संरचना के परिवर्तन के परिणामस्वरूप उससे मिलने वाला सम्भावित आर्थिक विकास; विशेषतः यदि काम करने वाले (१५ से ६४ वर्ष की आयु वाले) लोगों की संख्या उन पर आश्रित (१४ वर्ष से कम या ६४ वर्ष से अधिक आयु वाले) लोगों की संख्या से अधिक हो।

दूसरे शब्दों में, काम करने वाले लोगों की संख्या और उन पर आश्रित लोगों से की संख्या का अनुपात जितना अधिक होगा, आर्थिक उत्पादन को इससे मदद मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि का यह भी कहना है कि किसी देश में यदि नवयुवकों/नवयुवतियों की संख्या अधिक हो रही हो और उर्वरकता कम हो रही हो तो उस देश को इस जनसंख्यिकीय स्थित का लाभ मिलेगा।

विभिन्न कालावधि में तथा विभिन्न क्षेत्रों में, कार्यशील जनसंख्या तथा आश्रित जनसंख्या का अनुपात


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