जन्मेजय साईबाबू (जन्म : १९४८) एक छाउ कलाकार और गुरु हैंं।[4] वह मयूरभंज छाउ कला में निपुण है और पिछले ४० साल से इसका शिक्षादान करते आ रहे हैं। इस कला में उत्कर्ष के लिए इन्हे २०१७ साल के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है।[5]

जन्मेजय साईबाबू
जन्म 29 अक्टूबर 1948[1]
बारिपदा
पेशा मयूरभंज छाउ गुरु[2]
जीवनसाथी मिनती साईबाबू
बच्चे राजेश, राकेश[3]
पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

जन्मेजय साईबाबू के नाना राधामोहन साईबाबू मयूरभंज राजा के दरबार में छाउ नृत्य परिवेषण करते थे। तभी से यह इनका कौलिक कला बन गया है। इनके चाचा अनंतचरण साईबाबू भी संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारप्राप्त थे ।[6] १९७२ में जन्मेजय केंद्र सरकार के संस्कृति बिभाग में नौकरी की सुरुवात किये थे। ३ साल नौकरी करने के बाद इन्होंंने नौकरी छोड़ दिल्ली में "गुरुकुल छाउ डांस संगम" नाम से अपना स्कूल खोला। इस स्कूल में छाउ कला के शिक्षा के अलावा इस नृत्य में और अनुसंधान भी किया जाता हैं। मयूरभंज जिले के बारीपदा में इनका "छाउनी" नाम से एक स्कूल भी है। जन्मेजय के दोनों बेटे भी छाउ नृत्य[7] करते और सिखाते भी हैं।[8]

सम्मान व पुरस्कार

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  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार - २०१७
  • नृत्य शिरोमणि उपाधि
  1. "ଭଙ୍ଗାଘରେ ଚକାଜହ୍ନ". ସମ୍ବାଦ (ରବିବାର ସମ୍ବାଦ ୭ ଜୁଲାଇ ୨୦୧୯ ପୃଷ୍ଠା ୪). ଇଷ୍ଟର୍ଣ୍ଣ ମିଡିଆ ପ୍ରା ଲି. अभिगमन तिथि 8 July 2019.
  2. https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/delhi-times/articleshow/34468765.cms
  3. https://maharashtratimes.indiatimes.com/maharashtra/pune-news/dance/articleshow/50977820.cms[मृत कड़ियाँ]
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2018.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2018.
  6. Sangeet Natak. Sangeet Natak Akademi. 1999.
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2018.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2018.