जमलोकी एक उत्तराखंड की प्रमुख ब्राह्मण जाति है, जो केवल उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में केदार घाटी में स्थित गांव रविग्राम के ब्राह्मणों की जाति है। गांव में सर्वप्रथम रवि सागर नामक एक व्यक्ति आए थे जिनके वंशज जमलोकी हैं। केदार घाटी का सुप्रसिद्ध मंदिर एवं शिव तथा मां पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर के पुजारी भी जमलोकी ही हैं, जो वर्ष भर नारायण की सेवा में लगे रहते हैं। सतो गुण के प्रधान नारायण के पुजारी होने के कारण सभी जमलोकी ब्राह्मणों को सात्विक रहना पड़ता है और इसी कारण से वो लोग प्राचीन काल से तामसिक पदार्थों (मांस और मदिरा) से कोसों दूर हैं, जिससे पूरी मानव जाति को सीख लेनी चाहिए। त्रियुगीनारायण के साथ साथ जमलोकी केदारनाथ स्थित मां लक्ष्मी नारायण मंदिर के भी पुजारी हैं और केदारनाथ के कपाट खुलने और बंद होने के अंतराल में अपनी भक्ति से मां को प्रसन्न करते हैं। भैरवनाथ, जमलोकी ब्राह्मणों के इष्ट देवता हैं जिनका मंदिर गांव के मध्य में है। मां नान्तोली ग्रामवासियों की आराध्य देवी के साथ साथ 9 जोड़ी गांवों (9 जुला) की भी देवी है, मां का मंदिर रविग्राम से लगभग 1 k.m ऊपर है तथा वह जगह प्राकृतिक सौंदर्यता की उच्चतम सीमा है वहां से केदारनाथ पर्वत, गंगोत्री हिल्स, चौखंबा , मंदार और कई वर्ष भर चांदी के समान हिमाच्छादित पर्वत दिखाई देते हैं । मंदिर एक बड़े सपाट मैदान में चारों ओर से वृक्षों से ढका हुआ है जो उसकी खूबसूरती को ओर बढ़ाता है। और अधिक ऊपर जाने पर नागताल नामक सुंदर झील है जहां की खूबसूरती का व्याखान नहीं किया जा सकता है।

ब्राह्मणों द्वारा किया गया हवन।
ब्राह्मणों द्वारा किया गया हवन।