जयानन्द भारती (१७ अक्टूबर १८८१–०९ सितम्बर १९५२), भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक चेतना के अग्रदूत थे। उन्होने डोला-पालकी आन्दोलन चलाया। यह वह आन्दोलन था जिसमें शिल्पकारों के दूल्हे-दुल्हनों को डोला-पालकी में बैठने के अधिकार बहाल कराना था। लगभग 20 वर्षों तक चलने वाले इस आन्दोलन के समाधान के लिए भारती जी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया जिसका निर्णय शिल्पकारों के पक्ष में हुआ। स्वतन्त्रता संग्राम में भारती जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। 28 अगस्त 1930 को इन्होंने राजकीय विद्यालय जयहरिखाल की इमारत पर तिरंगा झंडा फहराकर ब्रिटिश शासन के विरोध में भाषण देकर छात्रों को स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिए प्रेरित किया।

गवर्नर मैलकम हेली को काला झंडा दिखाने की घटना-

उसी समय की बात है, तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर मैलकम हेली का पौड़ी दौरा था, यह खबर सुनते ही राम प्रसाद नौटियाल व उनके दल ने यह योजना बनाई की गवर्नर को काले झंडे दिखाए जाएँ व उसका बायकॉट किया जाय. इस काम को अंजाम देने के लिए जयानंद भारती को चुना गया, युवा जयानंद में खूब जोश था व उन्होंने अपनी सहमति दे दी। उनको लेकर नौटियाल जी पौड़ी गए वहां भारती जी ने गवर्नर के सामने जाकर काला ध्वज लहराया व 'वन्दे मातरम' का घोष किया। ‘गवर्नर गो बैक' के नारे लगाते हुए उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया व इसके लिए उन्हें एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा हुई।

जीवन परिचय संपादित करें

जयानन्द भारती का जन्म पौड़ी जनपद के आरकन्डाई ग्राम में हुआ।इन्होने आर्य समाज के विचारों को गढ़वाल में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें