जय भीम आम्बेडकरवादियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाला एक अभिवादन वाक्यांश हैं, खासकर उन लोगों द्वारा जिन्होंने बाबासाहेब आम्बेडकर की प्रेरणा से अपने को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया। [1] जय भीम का अर्थ है "भीम की जीत हो" या "डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर जिंदाबाद"। । इसे धार्मिक वाक्यांश के रूप में ही माना जाता है।अनुसुचित जन जाति अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, वामपंथियों, उदारवादियों लोगों द्वारा इसे अभिवादन का एक शब्द के रूप में और भीमराव आम्बेडकर के प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में जाना जाता हैं।[2][3][4]

भारतीय बौद्ध ध्वज (भीम ध्वज) पर ‘जय भीम’

कवि बिहारी लाल हरित ने जय भीम का प्रयोग पहली बार कविता के माध्यम से सन 1946 में दिल्ली में किया ।[5][6][7] कविता के बोल थे:

नवयुवक कौम के जुट जावें सब मिलकर कौम परस्ती में,
जय भीम का नारा लगा करे भारत की बस्ती-बस्ती में ।[8][9]

यदि कोई व्यक्ती दुसरे व्यक्ति को 'जयभीम' बोलता हैं, तो सामने वाला व्यक्ति भी 'जयभीम' या 'सप्रेम जयभीम' (प्यार भरा जयभीम) कहकर उसके संबोधन का जवाब देता है। जयभीम का उपयोग आमतौर पर प्रत्यक्ष व्यक्ती या समुदाय के सामने, फोन पर, टेक्ट्स आदी के जरीये किया जाता है। जय भीम वाक्यांश अम्बेडकर के एक अनुयायी बाबू एल एन हरदास द्वारा गढ़ा गया था।[10] बाबू हरदास ने भीम विजय संघ के श्रमिकों की मदद से अभिवादन के इस तरीके को बढ़ावा दिया।[11]

जय भीम का नारा सन् 1935 में बाबू एल एन हरदास ने ही सबसे पहले बड़े उत्साह से उच्चारित किया था। उन्होंने आंदोलन के कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे के साथ “जय भीम” कहने के लिए प्रेरित किया और इसे एक नये सोच की प्रतीक बनाया।बाबू हरदास ने न ही सिर्फ जय भीम के नारे का प्रचार-प्रसार किया बल्कि उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जवाब में ‘बल भीम‘ कहा जाना चाहिए, जैसे मुसलमान ‘सलाम वालेकुम’ का जवाब देते समय ‘वलेकुम सलाम’ से देते हैं। उनकी यह अद्वितीय योजना बहुत सफल रही और “जय भीम” नारे ने दलित समुदाय में एक एकता और गर्व की भावना पैदा की।1938 में, औरंगाबाद ज़िले के कन्नड़ तालुका के मकरानपुर में आंबेडकर आंदोलन के कार्यकर्ता, भाऊसाहेब मोरे ने बैठक आयोजित की थी, जिसमें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बाबू हरदास ने अपने नारे को उच्चारित किया और भाऊसाहेब मोरे ने इसे समर्थन दिया, जो एक और प्रमुख मूवमेंट बन गया।

बाबू एल एन हरदास का पत्र जय भीम का नारा

[12]

  1. Mohit, A. "Jai Bhim Status". मूल से 7 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जनवरी 2019.
  2. Uttar Pradesh Chief Minister Mayawati made it clear after the fatwa against it by an Islamic seminary."Fatwa on BSP Slogan Sparks Off Debate". मूल से 18 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अप्रैल 2017.
  3. Christophe, Jaffrelot (2005). Dr Ambedkar and untouchability: analysing and fighting caste. पपृ॰ 154–155. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-85065-449-0.
  4. http://14.139.13.47:8080/jspui/bitstream/10603/177842/5/05_chapter%203.pdf[मृत कड़ियाँ]
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 28 जनवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जून 2020.
  6. https://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/212615/6/chapter-2.pdf
  7. https://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/123911/8/08_chapter%203.pdf
  8. "जय भीम का नारा". www.dalitsahitya.in. मूल से 27 अप्रैल 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अप्रैल 2021.
  9. "अछूतों का बेताज बादशाह". www.epustakalay.com.
  10. Ramteke, P. T. Jai Bhim che Janak Babu Hardas L. N. (मराठी में).
  11. Jamnadas, K. "Jai Bhim and Jai Hind". मूल से 25 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अप्रैल 2017.
  12. "जय भीम का नारा कैसे और किसने दिया". bahujansahitya.co.in. मूल से 23 दिसंबर 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 दिसंबर 2023.