जरनैल सिंह भिंडरांवाले

सिख संगठन दमदमी टकसाल के एक धार्मिक नेता

जरनैल सिंह भिंडरांवाले (पंजाबी: ਸੰਤ ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਂਵਾਲੇ [dʒəɾnɛl sɪ́ŋɡ pɪ̀ɳɖɾɑ̃ʋɑɭe], जन्म का नाम जरनैल सिंह बराड़[3] (पंजाबी: ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਬਰਾੜ, 12 फ़रवरी 1947 - 6 जून 1984) भारतीय पंजाब में सिखों के धार्मिक समूह दमदमी टकसाल का प्रमुख लीडर था।[4] उन्होंने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का समर्थन किया।[5][6][7][8]

जरनैल सिंह भिंडरांवाले
जन्म जरनैल सिंह बरार
12 फ़रवरी 1947
रोदे, मोगा ज़िला, पंजाब
मौत

6 जून 1984(1984-06-06) (उम्र 37 वर्ष)
अमृतसर, पंजाब (भारत)

[1]
जाति पंजाबी
नागरिकता भारत
पेशा दमदमी टकसाल का प्रमुख
धर्म सिख धर्म
जीवनसाथी प्रीतम कौर
बच्चे इशार सिंह और इंदरजीत सिंह[2]
माता-पिता जोगिंदर सिंह और निहाल कौर

उन्होंने सिक्खों को शुद्ध होने के लिए कहा। उन्होंने शराब पीने, नशे करने, धार्मिक कामों में लापरवाही और सिक्ख नौजवानों को केश काटने की निषिद्धता की।[9] उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 की सख़्त निंदा की जिसके अनुसार सिक्ख, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी को कम संख्या कहा गया और हिन्दू धर्म का एक हिस्सा कहा गया। वह आनंद पुर साहिब मत के लिए भारतीय केंद्र सरकार से आंदोलन के दौरान भारतीय सेना के द्वारा मारा गया ।।

अगस्त 1982 में भिंडरांवाले और अकाली दल ने 'धर्म युद्ध मोर्चा' शुरू किया। इसका उद्देश्य आनंदपुर प्रसाव में व्यक्त किए गए उद्देश्यों को पाना था। भारतीय सेना के साथ हुए मुकाबले में मारा गया। उस भीषण गोलाबारी में दरबार साहिब को बहुत ही नुकसान पहुँचा ।[10]

इन्हें भी देखें

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  1. "Akal Takht declares Bhindranwale 'martyr'". मूल से 20 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2013.
  2. Singh, Sandeep. "Saint Jarnail Singh Bhindranwale (1947–1984)". Sikh-history.com. मूल से 24 मार्च 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-03-18.
  3. Singh, Sandeep. "Jarnail Singh Bhindranwale (1947) Archived 2007-03-24 at the वेबैक मशीन". Sikh-history.com. Retrieved on 2007-03-18
  4. "जरनैल सिंह भिंडरावाले का सफ़र". मूल से 27 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2017.
  5. "Bhindranwale firm on Anandpur move". Hindustan Times. 5 September 1983.jug
  6. "Bhindranwale, not for Khalistan". Hindustan Times. 13 November 1982.jug
  7. "Sikhs not for secession: Bhindranwale". The Tribune. 28 February 1984.jug
  8. Joshi, Chand (1985). Bhindranwale: Myth and Reality. New Delhi: Vikas Publishing House. पृ॰ 129. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-7069-2694-3.
  9. Leveling Crowds: Ethnonationalist Conflicts and Collective Violence in South Asia by Stanley Jeyaraja Tambiah (1996). University of California Press. Page 143-144. ISBN 978-0-520-20642-7.
  10. Akshayakumar Ramanlal Desai (1 January 1991). Expanding Governmental Lawlessness and Organized Struggles. Popular Prakashan. पपृ॰ 64–66. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7154-529-2.