जर्दानो ब्रूनो
जियोर्दानो ब्रूनो (Giordano Bruno) (1548 – 17 फ़रवरी 1600) इटली का दार्शनिक, गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता था जिसे कैथोलिक चर्च ने अफवाह फैलाने का आरोप लगाकर जिन्दा जला दिया था। अपनी मृत्यु के बाद वह बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्नीसवीं-बीसवीं शताब्दी के समीक्षकों ने उसे 'स्वतंत्र चिन्तक शहीद' और आधुनिक वैज्ञानिक विचारों का उद्घोषक माना है।
व्यक्तिगत जानकारी | |
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जन्म | 1548 Nola, Kingdom of Naples |
मृत्यु | 17 February 1600 Rome, Papal States Burned at the stake |
वृत्तिक जानकारी | |
युग | Renaissance philosophy |
क्षेत्र | Western Philosophy |
विचार सम्प्रदाय (स्कूल) | Renaissance Humanism Neoplatonism |
मुख्य विचार | Philosophy, Cosmology, and Mathematics |
जियोर्दानो ब्रूनो 16वीं सदी के प्रसिद्ध इटेलियन दार्शनिक, खगोलशास्त्री, गणितज्ञ और कवि थे। उन्होंने खगोल वैज्ञानिक निकोलस कोपरनिकस के विचारों का समर्थन किया था। वह भी उस समय, जब यूरोप में लोग धर्म के प्रति अंधे थे।
उन्होंने खगोल वैज्ञानिक निकोलस कोपरनिकस के विचारों का समर्थन किया था। वह भी उस समय, जब यूरोप में लोग धर्म के प्रति अंधे थे।
निकोलस कोपरनिकस ने कहा था - 'ब्रह्माण्ड का केंद्र पृथ्वी नहीं, सूर्य है।'
ब्रूनो ने निकोलस कोपरनिकस के विचारों का समर्थन करते हुए कहा - 'आकाश सिर्फ उतना नहीं है, जितना हमें दिखाई देता है। वह अनंत है और उसमें असंख्य विश्व है।'
धर्म के प्रति ब्रूनो का विचार था कि - 'धर्म वह है, जिसमें सभी धर्मों के अनुयायी आपस में एक-दूसरे के धर्म के बारे में खुलकर चर्चा कर सकें।'
ब्रूनो का विचार था कि - हर तारे का वैसा ही अपना परिवार होता है जैसा कि हमारा सौर परिवार है। सूर्य की तरह ही हर तारा अपने परिवार का केंद्र होता है।
महान खगोलशास्त्री जियोर्दानो ब्रूनो की धारणा थी कि - 'इस ब्रह्मांड में अनगिनत ब्रह्मांड हैं। ब्रह्मांड अनंत और अथाह है।'
ब्रूनो का मत था कि - 'धरती ही नहीं, सूर्य भी अपने अक्ष पर घूमता है।'
जियोर्दानो ब्रूनो बड़े निर्भीक और क्रांतिकारी विचार वाले थे। इसलिए चर्च के पादरियों का विरोध भी उन्हें डरा ना सका। ब्रूनो जीवन भर चर्च की कठोर यातनाएँ सहते रहे। उन्होंने अपने जीवनकाल के लगभग 8 वर्ष जेल में बिताए मगर उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारे। उन्हें हारता ना देखकर 17 फरवरी, सन् 1600 ई. को धर्म के ठेकेदारों ( तत्कालीन पोप और चर्च के पादरियों ) ने खुलेआम रोम में भरे चौराहे पर ब्रूनो को खंभे से बांध कर मिट्टी का तेल उन पर छिड़क कर जला डाला।
ब्रूनो ने हँसते हुए आग में जलना स्वीकार किया। लेकिन वे अपने तथ्यों और निष्कर्षों पर अडिग रहे। उनके चेहरे पर डर या पश्चाताप का कोई अहसास नहीं था। उन्हें पूर्ण विश्वास था कि एक ना एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जब पूरी दुनिया उनकी खोज को सत्य मानेगी। आखिरकार सत्य की जीत हुई और विश्व ने उनके सिद्धांतों को स्वीकार कर ही लिया।
ब्रूनो के जीवनकाल में ये तथ्य लोगों को समझ में नहीं आया और उनको पुरजोर विरोध हुआ। लेकिन उनकी निर्मम हत्या के बाद यह साबित हो गया कि सूर्य भी अपने अक्ष पर घूमता है। ब्रूनो की मृत्यु के लगभग 200 वर्षों बाद हमारे सौरमंडल के 7वें ग्रह 'यूरेनस' की खोज हुई।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Leo Catana (2005). The Concept of Contraction in Giordano Bruno's Philosophy. Ashgate Pub. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780754652618.
When Bruno states in De la causa that matter provides the extension of particulars, he follows Averroes.
- ↑ Bouvet, Molière ; avec une notice sur le théâtre au XVIIe siècle, une biographie chronologique de Molière, une étude générale de son oeuvre, une analyse méthodique du "Malade", des notes, des questions par Alphonse (1973). Le malade imaginaire ; L'amour médecin. Paris: Bordas. पृ॰ 23. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 2-04-006776-0.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- जियोर्दानो ब्रूनो - Giordano Bruno
- Official site of Giordano Bruno's 'followers'
- Bruno's works: text, concordances and frequency list
- Writings of Giordano Bruno
- Detailed biography of Giordano Bruno
- Latin text of Bruno's Ars Memoriae
- Collection of short excerpts about Giordano Bruno, from many authors throughout history
- Bruno's Latin and Italian works online: Biblioteca Ideale di Giordano Bruno
- Complete works of Bruno as well as main biographies and studies available for free download in PDF format from the Warburg Institute and the Centro Internazionale di Studi Bruniani Giovanni Aquilecchia