जसलिन धमिजा
जसलिन धामिजा (जन्म १९३३) एक अनुभवी भारतीय कपड़ा कला इतिहासकार, शिल्प विशेषज्ञ और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व कार्यकर्ता हैं।[1] वह अपने हथकरघा और हस्तकला उद्योग पर शोध के लिए जनि जाती है। वह मिनेसोटा विश्वविद्यालय में जीवित सांस्कृतिक परंपराओं की प्रोफेसर रहे चुकी है। उन्होंने वस्त्रों पर भारत की पवित्र टेक्सटाइल्स (2014) सहित कई किताबें लिखी हैं।[2][3]
धमीजा उत्तर पश्चिमी सीमावर्ती प्रांत में अब्बाटाबाद में बडी हुई। मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। १९५४ में उन्होंने भारत सरकार में संस्कृति और शिल्प पुनरुत्थानवादी कमलादेवी चट्टोपाध्याय के साथ अपने करियर की शुरुआत की। १९६० के दशक में, उसने भारत के हस्तशिल्प बोर्ड के साथ काम किया।
हाह्ली मे वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टैक्नोलॉजी, नई दिल्ली में काम करती है। जहां वह भारतीय कपड़ा और वेशभूषा का इतिहास पढ़ाती है।[4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Labonita Ghosh (29 October 2001). "Jasleen Dhamija looks beyond embroidery at the people responsible for it". India Today. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-10-09.
- ↑ Sangeeta Barooah Pisharoty (23 July 2014). "Drapes and divinity - The Hindu". अभिगमन तिथि 2014-10-09.
- ↑ Damayanti Datta (16 January 2009). "The interpretation of yarns". India Today. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-10-09.
- ↑ "Jasleen Dhamija" (PDF). Sutra Textile Studies. मूल (PDF) से 14 अक्तूबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-10-09.