ज़िन्दगी तेरे नाम
ज़िन्दगी तेरे नाम 2012 की आशु त्रिखा द्वारा निर्देशित हिन्दी-भाषा की भारतीय कथा फ़िल्म है। इसमें मुख्य अभिनय मिथुन चक्रवर्ती और रंजीता कौर ने किया है और फ़िल्म एक परिपक्व प्रेम कहानी पर आधारित है। फ़िल्म 2008 में पूर्ण हो चुकी थी लेकिन इसे कुछ सीमित प्रतियों के साथ 2012 में जारी किया गया। फ़िल्म निकोलस स्पार्क्स के उपन्यास द नोटबुक और इसी नाम से बनी 2004 की फ़िल्म पर आधारित है।[1][2]
ज़िन्दगी तेरे नाम | |
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ज़िन्दगी तेरे नाम का प्रचार पोस्टर | |
निर्देशक | आशु त्रिखा |
लेखक | संजय मासूम |
निर्माता | पवन गोयल |
अभिनेता |
मिथुन चक्रवर्ती रंजीता कौर दलीप ताहिल गोल्डी सुप्रिया कार्णिक |
संगीतकार | साजिद-वाजिद |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
137 मिनट |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹ 4 करोड़ |
कथानक
संपादित करेंफ़िल्म एक वृद्ध व्यक्ति मिस्टर सिंह (मिथुन चक्रवर्ती) के साथ आरम्भ होती है जो एक वृद्ध महिला को एक कहानी सुना रहा है जो दिन-प्रतिदिन अपनी याददास्त खो चुकी है। मिस्टर सिंह की कहानी एक युवा प्रेमियों सिद्धार्थ (असीम अली खान) और अंजली (प्रियंका मेहता) की है। अंजली एक धनवान लड़की है, लेकिन सिद्धार्थ एक गरीब व्यक्ति का पूत्र। अंजली के पिता (दिलीप ताहिल) हमेशा की तरह इस प्यार को अस्वीकार कर देते हैं और अपनी पुत्री को दूर ले जाते हैं। उदास सिद्धार्थ के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है, लेकिन वो उसे पत्र लिखना जारी रखता है। वह एक वर्ष तक लगातार 365 पत्र लिखता है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसे इन ३६५ में से एक भी पत्र का उत्तर नहीं मिलता। वर्षों बीत जाते हैं लेकिन अंजली को सिद्धार्थ नहीं मिलता, अतः वह अन्त में एक अन्य व्यक्ति के साथ विवाह करने की योजना बनाती है। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर होता है और दोनों प्रेमियों का पुनः मिलन हो जाता है। कहानी ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती है और विवाह के बाद तक पहुँचते हैं तो वृद्ध महिला को ऐहसास होता है कि मिस्टर सिंह उन्हें उनकी स्वयं की प्रेम कहानी के बारे में बता रहे हैं और वह एकाएक अपनी पुरानी यादों को लौटाने में सक्षम हो जाती है जिससे मिस्टर सिंह बहुत खुश होते हैं, लेकिन विडम्बना है उसकी याद केवल लघु समय के लिए ही रहती हैं और वह अल्जाइमर रोगी के समान पुनः सभी यादें खो देती है।
सामान्य टिप्पणी
संपादित करेंज़िंदगी तेरे नाम में मिथुन चक्रवर्ती ने लगभग १८ वर्ष बाद अपनी १९८० की रोमांटिक सह-कलाकार रंजीता के साथ पुनः अभिनय किया। इससे पहले उन्होंने एक साथ गुनाहों का देवता में अभिनय किया था और उस समय भी ६ वर्षों के अन्तराल से उन्होंने एक साथ कार्य किया था जिससे पहले वो १९८४ में फ़िल्म बाज़ी एवं घर एक मन्दिर के बाद नज़र नहीं आये थे। इसके अलावा उन्होंने तराना, सुरक्षा, तकदीर का बादशाह, वारदात, उन्नीस बीस, हम से बढ़कर कौन और धुँआ फ़िल्मों में भी साथ में अभिनय किया है।
कलाकार
संपादित करें- मिथुन चक्रवर्ती.... सिद्धार्थ सिंह
- रंजीता कौर.... श्रीमती अंजली सिंह
- असीम अली खान.... युवा सिद्धार्थ सिंह
- प्रियंका मेहता.... युवा अंजली
- आशीष शर्मा.... विशाल
- दलीप ताहिल.... अंजली के पिता
- सुप्रिया कार्णिक.... अंजली की माँ
- शरत सक्सेना.... सिद्धार्थ के पिता
- हिमानी शिवपुरी.... दायी
- यतिन कर्येकर.... चिकित्सक
- दिया मिर्ज़ा.... आयटम नम्बर
- साजिद .... विशेष उपस्थिति
संगीत
संपादित करेंज़िन्दगी तेरे नाम | |
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संगीत साजिद वाजिद द्वारा | |
जारी | 13 जून 2008 |
संगीत शैली | फ़िल्म संगीत |
लंबाई | 40:38 |
लेबल | वीनस रिकॉर्ड्स & टेपस प्राइवेट लिमिटेड |
जैसा कि फ़िल्म २००८ में पूर्ण हो चुकी थी, फ़िल्म का संगीत १३ जून २००८ को जारी कर दिया गया। जबकी फ़िल्म २०१२ में जारी की गयी। फ़िल्म का सबसे प्रचलित गाना केके द्वारा रचित तु मुझे सोच कभी रहा[3]
गीत सूची | |||
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क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
1. | "मिलने को नहीं आये -द्वैत" | सुनिधि चौहान, शान | 4:57 |
2. | "तृष्णा तृष्णा दिल कह रहा" | शाफ्क़ात अमानत अली खान, सुनिधि चौहान | 5:13 |
3. | "मिलने को नहीं आये - पुरुष" | शान | 4:58 |
4. | "अजनबी सा लगता है" | सुनिधि चौहान, वाजिद खान | 5:20 |
5. | "क्या खता हो गयी" | अफ़ज़ल सब्री, ऋचा शर्मा | 5:35 |
6. | "मिलने को नहीं आये - महिला" | सुनिधि चौहान | 4:58 |
7. | "तौबा तौबा" | सुनिधि चौहान, वाजिद खान | 5:17 |
8. | "तु मुझे सोच कभी" | केके | 4:28 |
कुल अवधि: | 40:38 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Zindagi Tere Naam". मूल से 31 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्टूबर 2013.
- ↑ "मूवी रिव्यूः जिंदगी तेरे नाम". दैनिक भास्कर. 17 मार्च 2012. मूल से 7 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्टूबर 2013.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्तूबर 2013.