ज़िन्दगी (१९४० फ़िल्म)
ज़िन्दगी १९४० में बनी एक हिन्दी फ़िल्म है जिसमें मुख्य भूमिका कुन्दन लाल सहगल ने निभाई है। फ़िल्म के निर्देशक पी.सी. बरुआ हैं और इसके लेखक जावेद हुसैन तथा प्रसिद्ध निर्देशक किदार नाथ शर्मा हैं। यह फ़िल्म सन् १९४० की सबसे सफल फ़िल्म थी।
ज़िन्दगी | |
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निर्देशक | पी.सी. बरुआ |
लेखक | जावेद हुसैन, किदार नाथ शर्मा |
संगीतकार | पंकज मलिक |
निर्माण कंपनी |
न्यू थिएटर्स लि. |
प्रदर्शन तिथि |
१९४० |
लम्बाई |
१२० मि. |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंएक दिन एक अविवाहित, बेरोज़गार, आवारा, जुआरी रतन (के. एल. सहगल) एक विवाहिता श्रीमती (जमुना) से टकरा जाता है। श्रीमती के शराबी पति ने उसे मार-पीट कर घर से बाहर निकाल दिया है। अब दोनों मिलकर एक झूठे धर्मार्थ संगठन के लिये चंदा इकट्ठा करके अपना गुज़ारा करने लगते हैं। ठगी करके वे जो पैसा कमाते हैं उससे किराये का एक फ़्लैट लेकर दोनों साथ रहने लगते। इस बीच श्रीमती के पिता का देहान्त हो जाता है लेकिन मरने से पहले वह अपनी सारी जायदाद श्रीमती के नाम कर देते हैं। अपने पुराने पापों का प्रायश्चित करने की नीयत से वह सामाजिक कार्यों में लग जाती है और अपने पिता से मिली सम्पत्ति को दान में देने लगती है और लखिया नामक एक अनाथ को गोद भी ले लेती है। श्रीमती रतन को लखिया की पढ़ाई के लिये रख लेती है लेकिन रतन के ज़िद करने पर कि वे दोनों फिर साथ रहने लगें, उसे उसके पुराने पाप कचोटने लगते हैं और वह रतन को दुतकार देती है। फ़िल्म के अन्त में श्रीमती तन्हा मर जाती है।
चरित्र
संपादित करें- कुन्दन लाल सहगल - रतन
- जमुना - श्रीमती
- पहाड़ी सान्याल
- आशालता वबगांवकर
- श्याम लाहा
- नेमो
- सितारा देवी
- विक्रम कपूर
- रजनी रानी
मुख्य कलाकार
संपादित करें- कुन्दन लाल सहगल
- जमुना
- पहाड़ी सान्याल
दल
संपादित करेंसंगीत
संपादित करेंइस फ़िल्म का संगीत दिया है पंकज मलिक ने और गीतकार हैं आरज़ू लखनवी और किदार नाथ शर्मा।
गीत | गायक/गायिका | गीतकार | |
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१ | काजर काहे डारूँ नैना में | किदार नाथ शर्मा | |
२ | जीवन आशा यह है मेरा | के एल सहगल | आरज़ू लखनवी |
३ | दीवाना हूँ दीवाना हूँ | के एल सहगल | आरज़ू लखनवी |
४ | मैं क्या जानूँ क्या जादू है | के एल सहगल | किदार नाथ शर्मा |
५ | सो जा राजकुमारी सो जा | के एल सहगल | किदार नाथ शर्मा |