ज़ैदी
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ज़ैदी या ज़ैदिय्या शिया इस्लाम के एक सम्प्रदाय को कहते हैं जो मुख्यतः अधिकांश यमन मे एवं ईराक, ईरान, भारत, पाकिस्तान में थोडा जनसंख्या में मौजूद है। भारत मे यह मुख्यतः मुज़्जफरनगर जिले के आस पास सादात ए बाहरा के गांवों में मौजूद है। ये सम्प्रदाय चौथे इमाम हज़रत जै़नुलआबेदीन के पुत्र हज़रत ज़ैद की औलाद में से है। भारत में यह मुख्यत ईराक के वास्त शहर से सल्तनत काल के दौरान भारत आये थे।
कुछ ज़ैदी शिया ईरान से मेरठ, मुजफ्फरनगर आए और वहा से फिर बाराबंकी आए। इसी काफिले के कुछ लोग सेथल भी गए, सेथल में भी ज़ैदी शिया समाज पाया जाता है। मेरठ से जो काफिला बाराबंकी तक आया वो एक जगह रुक जाता है जिसे सैय्यद वाडा बोला जाता है , आज ये सैय्यदवाडा नाम की जगह है जहां पे ये ज़ैदी शिया समुदाय के लोग आबादी बसा के रहने लगे जिससे ज़ैदी शिया आबादी बढ़ती गई धीरे धीरे 52 गांव बस गए जो सैय्यदवाडा में पाए जाते है जिसमे आलमपुर (सैय्यद आलम द्वारा बसाया गया),मुस्तफाबाद और मोतिकपुर (सैय्यद अलीमुद्दीन द्वारा बसाया गया) देवरा, असंद्रा (सैय्यद फूल द्वारा बसाया गया)उक्त पूर्वजों की कब्रें भी सही सलामत है जहां आज भी इनकी आल औलाद जुमेरात के दिन फतेहा पढ़ने जाती है। इसी तरह ऐसे और भी बड़े आबादी वाले शिया समुदाय के गांव सैय्यद वाडा बाराबंकी पाए जाते हैं। जिनकी तादाद बाराबंकी में बढ़ती जा रही है।