जांगलू

राजस्थान के बीकानेर ज़िले में स्थत एक गांव

सांखलों का यह महान किला जांगलू नामक प्रदेश में बीकानेर से २४ मील दक्षिण में है। ऐसा कहते हैं कि चौहान सम्राट पृथ्वीराज की रानी अजयदेवी दहियाणी ने यह स्थान बसाया था। सर्व प्रथम सांखले महिपाल का पुत्र रायसी रुण को छोड़कर यहां आया और गुढ़ा बांधकर रहने लगा और कुछ समय बाद यहां के स्वामी दहियों की छल से हत्या कर उसने यहां अधिकार जमा लिया। बाद में जांगलू का यह इलाका राव बीका के आधीन आ गया। यहां के सांखले राठौड़ों के विश्वास पात्र बन गए।

यहां के प्राचीन स्थानों में पुराना किला, केशोलय और महादेव के मंदिर उल्लेखनीय हैं। पुराना किला वर्तमान गांव के निकट बना हुआ था जिसके अब कुछ भग्नावशेष विद्यमान है। चारों ओर चार दरवाजे के चिह्म अब भी पाए जाते हैं। बीच में ऊँचे उठे हुए घेरे के दक्षिण-पूर्व की ओर जांगलू के तीसरे सांखले खींवसी के सम्मान में एक देवली (स्मारक) बनी है, जो देखने में नवीन जान पड़ती है।

किले के पूर्व में केशोलय तालाब है। इसके विषय में ऐसी प्रसिद्धि है कि दहियों के केशव नामक उपाध्याय ब्राह्मण ने यह तालाब खुदवाया था। तालाब के किनारे लगे पत्थर में केशव नाम खुदा है। तालाब के निकट ही अन्य पाँच देवलियां हैं।

पुराने किले की तरफ गांव के बाहर महादेव मंदिर है, जो नवीन बना हुआ है। इसके भीतर एक किनारे पर प्राचीन शिवलिंग की जलेरी पड़ी है। मंदिर के अंदर ही दीवार पर संगमरमर का एक लेख खुदा है जिससे पता चलता है कि इस मंदिर का नाम पहले श्री भवानी शंकर प्रसाद था और इसे राव बीका ने बनवाया था तथा १८४४ ई० में महाराजा रत्नसिंह ने इसका जीणाçधार करवाया। जांगलू में तीन और मंदिर है।

इसी जगह से स्वर्णकारो की जांगलवा गोत्र की उत्पत्ति हुई जो पूरे देश में जांगलवा स्वर्णकार के रूप में जाने जाते हैं जिनकी कूल देवी मां चामुण्डा माता है।

इसी गांव के युवा साहित्यकार और सर्जनकार महेश गहलोत "जांगलू" है जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में गांव का नाम रोशन किया है।

वर्तमान समय में इस गांव का बेटा महेंद्र गहलोत पिछली कांग्रेस सरकार में राज्यमंत्री बनकर गांव का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करवा चुका है इनका कार्यकाल 2018 - 2023 के बीच रहा

राजनितिक परिदृश्य से देखा जाए तो ये गांव का पहला व्यक्ति है जिसने गांव का नाम दिल्ली तक रोशन किया है ।