जागृति (1954 फ़िल्म)
जागृति 1954 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
जागृति | |
---|---|
जागृति का पोस्टर | |
निर्देशक | सत्येन बोस |
लेखक |
मनोरंजन घोश (कथा एवं डायलॉग) पंडित उर्मिल (डायलॉग अनुवाद) |
निर्माता | सशाधर मुखर्जी |
अभिनेता |
अभि भट्टाचार्य, बिपिन गुप्ता, मुमताज़ बेग़म, राजा, घनश्याम, नन्दा |
छायाकार | एन वी श्रीनिवास |
संपादक | डी एन पाइ |
संगीतकार |
हेमन्त कुमार (संगीत) कवि प्रदीप (गीत) |
निर्माण कंपनी |
|
प्रदर्शन तिथि |
1954 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंअजय एक बड़े घराने का शरारती लड़का है जो गांव में अपने ताऊ और माँ के साथ रहता है। गांव में उसकी शरारतों से तंग आकर उसके ताऊ उसे शहर के एक हॉस्टल वाले स्कूल में डाल देते हैं लेकिन वहाँ भी उसकी शरारतें जारी रहती हैं। उसकी शरारतों की वजह से हॉस्टल का सुपरिन्टेन्डेन्ट स्कूल छोड़कर भागने पर मजबूर हो जाता है। स्कूल में उसकी दोस्ती शक्ति नाम के एक ग़रीब लड़के से होती है जिसका एक पांव नहीं है। हॉस्टल के नये सुपरिन्टेन्डेन्ट शेखर बाबू (अभि भट्टाचार्य) एक तजुर्बेकार शिक्षक हैं जो अपरंपरागत तरीक़े से बच्चों को पढ़ाना लिखाना चाहते हैं। सारे शरारती लड़के सीधी राह पर आ जाते हैं सिवाय अजय के। शक्ति अजय को सुधारने की बहुत कोशिश करता है मगर असफल रहता है।
एक फ़ुटबॉल मैच में अजय अपने विरोधी पक्ष वाले एक लड़के को जानबूझकर लात मारकर घायल कर देता है। शेखर बाबू भी ग़ुस्से में आ जाते हैं और उसको खेल के मैदान से बाहर निकालकर सारे बच्चों को हिदायत देते हैं कि कोई भी अजय से अगले एक हफ़्ते के लिए बातचीत न करे। अजय हॉस्टल छोड़कर जाने लगता है तो शक्ति उसे मनाने के लिए उसके पीछे पीछे जाता है लेकिन पांव से लाचार होने के कारण उतनी तेज़ नहीं चल पाता है और पीछे छूट जाता है। शक्ति पीछे से आती हुयी एक गाड़ी के नीचे आ जाता है और अस्पताल में दम तोड़ देता है। अजय को लगता है कि शक्ति की मौत उसकी वजह से हुयी है वहीं शेखर बाबू सोचते हैं कि यदि वे अजय पर खेल के मैदान में ग़ुस्सा नहीं करते तो यह हादसा टल सकता था।
पश्चाताप में अजय शरारत करना छोड़ देता है और पढ़ाई-लिखाई और खेल-कूद में खूब मन लगाने लगता है और दोनों ही में पूरे स्कूल में अव्वल आता है। उधर शेखर बाबू के पढ़ाने की विधि को शिक्षा बोर्ड की मंज़ूरी मिल जाती है और उनको वह स्कूल छोड़कर शिक्षा बोर्ड का ऊँचा ओहदा सम्हालने जाना पड़ता है।
चरित्र
संपादित करेंमुख्य कलाकार
संपादित करेंदल
संपादित करेंसंगीत
संपादित करेंइस फ़िल्म के गीतकार हैं कवि प्रदीप और संगीतकार हैं हेमन्त कुमार।
गीत | गायक/गायिका | |
---|---|---|
१ | आओ बच्चों तुम्हें दिखायें | कवि प्रदीप |
२ | चलो चलें माँ | आशा भोंसले |
३ | दे दी हमें आज़ादी | आशा भोंसले |
४ | हम लाये हैं तूफ़ान से | मोहम्मद रफ़ी |
रोचक तथ्य
संपादित करेंपरिणाम
संपादित करेंबौक्स ऑफिस
संपादित करेंसमीक्षाएँ
संपादित करेंनामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंइस फ़िल्म को १९५६ में दो फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से नवाज़ा गया था।