जाफ़र अल सादिक़

मुस्लिम विद्वान और वैज्ञानिक (702-765 ईस्वी)

ज़ाफ़र अल सादिक़ (जन्म २० अप्रैल ७००) अरब के हज़रत अली की चौथी पीढी में थे। उनके पिता इमाम मोहम्मद बाक़र एक वैज्ञानिक थे और मदीना में पढ़ाया करते थे।

जाफ़र
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मोअल्ला सुलेख में जाफ़र सादिक़ का नाम
धर्म इस्लाम
संप्रदाय बनू हाशिम
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ
जन्म ल. 702 ई
17 रबीउल अव्वल 83 हिजरी [1]
मदीना, उमय्यद सल्तनत
निधन 765 CE
(15 शव्वाल 148 हिजरी)[2]
मदीना, अब्बासी सल्तनत
शांतचित्त स्थान जन्नतुल बक़ी, सऊदी अरब
24°28′1″N 39°36′50.21″E / 24.46694°N 39.6139472°E / 24.46694; 39.6139472
जीवनसाथी

Fatima bint al-Hussain'l-Athram

Hamīdah al-Barbariyyah[3]
बच्चे
पिता Muhammad al-Baqir[*]
माता Farwah bint al-Qasim[*]
पद तैनाती
उपदि

इमाम

पूर्वाधिकारी Muhammad al-Baqir
उत्तराधिकारी

disputed
TwelversMusa al-Kadhim
Isma‘ilisIsma‘il ibn Ja‘far
AftahisAbdullah al-Aftah Shumattiyyah - Muhammad ibn Ja'far al-Sadiq

Ali al-Uraidhi ibn Ja'far al-Sadiq

इमाम सादिक ने अरस्तू की चार मूल तत्वों की थ्योरी से इनकार किया और कहा कि मुझे आश्चर्य है कि अरस्तू ने कहा कि विश्व में केवल चार तत्व हैं, मिटटी, पानी, आग और हवा. मिटटी स्वयं तत्व नहीं है बल्कि इसमें बहुत सारे तत्व हैं। इसी तरह जाफर अल सादिक[5] ने पानी, आग और हवा को भी तत्व नहीं माना। हवा को भी तत्वों का मिश्रण माना और बताया कि इनमें से हर तत्व सांस के लिए ज़रूरी है। मेडिकल साइंस में इमाम सादिक[6] ने बताया कि मिटटी में पाए जाने वाले सभी तत्व मानव शरीर में भी होते हैं। इनमें चार तत्व अधिक मात्रा में, आठ कम मात्रा में और आठ अन्य सूक्ष्म मात्रा में होते हैं।

जाफ़र सादिक़ का मुख़्तसर तआरुफ़

यह एक वैज्ञानिक, चिन्तक और दार्शनिक थे,

  • यह आधुनिक केमिस्ट्री के पिता जाबिर इब्ने हय्यान (गेबर) के उस्ताद थे
  • यह अरबिक विज्ञान के स्वर्ण युग का आरंभकर्ता थे
  • इन्हों ने विज्ञान की बहुत सी शाखाओं की बुनियाद रखी.

20 अप्रैल 700 में अरबिक भूमि पर जन्मे उस वैज्ञानिक का नाम था जाफर अल सादिक. इस्लाम की एक शाखा इनके नाम पर जाफरी शाखा कहलाती है जो इन्हें इमाम मानती है. जबकि सूफी शाखा के अनुसार ये वली हैं. इस्लाम की अन्य शाखाएँ भी इनकी अहमियत से इनकार नहीं करतीं.

इमाम जाफर अल सादिक हज़रत अली की चौथी पीढी में थे. उनके पिता इमाम मुहम्मद अल-बाक़र स्वयं एक वैज्ञानिक थे और मदीने में अपना कॉलेज चलाते हुए सैंकडों शिष्यों को ज्ञान अर्पण करते थे. अपने पिता के बाद जाफर अल सादिक ने यह कार्य संभाला और अपने शिष्यों को कुछ ऐसी बातें बताईं जो इससे पहले अन्य किसी ने नहीं बताई थीं.

उन्होंने अरस्तू की चार मूल तत्वों की थ्योरी से इनकार किया और कहा कि मुझे आश्चर्य है कि अरस्तू ने कहा कि विश्व में केवल चार तत्व हैं, मिटटी, पानी, आग और हवा. मिटटी स्वयं तत्व नहीं है बल्कि इसमें बहुत सारे तत्व हैं. इसी तरह जाफर अल सादिक ने पानी, आग और हवा को भी तत्व नहीं माना. हवा को भी तत्वों का मिश्रण माना और बताया कि इनमें से हर तत्व सांस के लिए ज़रूरी है. मेडिकल साइंस में इमाम सादिक ने बताया कि मिटटी में पाए जाने वाले सभी तत्व मानव शरीर में भी होते हैं. इनमें चार तत्व अधिक मात्रा में, आठ कम मात्रा में और आठ अन्य सूक्ष्म मात्रा में होते हैं. आधुनिक मेडिकल साइंस इसकी पुष्टि करती है.

उन्‍होंने एक शिष्य को बताया, "जो पत्थर तुम सामने गतिहीन देख रहे हो, उसके अन्दर बहुत तेज़ गतियाँ हो रही हैं." उसके बाद कहा, "यह पत्थर बहुत पहले द्रव अवस्था में था. आज भी अगर इस पत्थर को बहुत अधिक गर्म किया जाए तो यह द्रव अवस्था में आ जायेगा."

ऑप्टिक्स (Optics) का बुनियादी सिद्धांत 'प्रकाश जब किसी वस्तु से परिवर्तित होकर आँख तक पहुँचता है तो वह वस्तु दिखाई देती है.' इमाम सादिक का ही बताया हुआ है. एक बार अपने लेक्चर में बताया कि शक्तिशाली प्रकाश भारी वस्तुओं को भी हिला सकता है. लेजर किरणों के आविष्कार के बाद इस कथन की पुष्टि हुई. इनका एक अन्य चमत्कारिक सिद्धांत है की हर पदार्थ का एक विपरीत पदार्थ भी ब्रह्माण्ड में मौजूद है. यह आज के मैटर - एंटी मैटर (Matter-Antimatter) थ्योरी की झलक थी. एक थ्योरी इमाम ने बताई कि पृथ्वी अपने अक्ष के परितः चक्कर लगाती है. जिसकी पुष्टि बीसवीं शताब्दी में हो पाई. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थिर नहीं है. सब कुछ गतिमान है.

ब्रह्माण्ड के बारे में एक रोचक थ्योरी उन्होंने बताई कि ब्रह्माण्ड हमेशा एक जैसी अवस्था में नहीं होता. एक समयांतराल में यह फैलता है और दूसरे समयांतराल में यह सिकुड़ता है.

कुछ सन्दर्भों के अनुसार इमाम के शिष्यों की संख्या चार हज़ार से अधिक थी. दूर दूर से लोग इनके पास ज्ञान हासिल करने के लिए आते थे. इनके प्रमुख शिष्यों में Father of Chemistry जाबिर इब्ने हय्यान, इमाम अबू हनीफ़ा, जिनके नाम पर इस्लाम की हनफी शाखा है, तथा मालिक इब्न अनस (Malik Ibn Anas), मालिकी शाखा के प्रवर्तक, प्रमुख हैं.

हज़रत ईमाम जाफर ए सादिक अलेह सलाम

हज़रत ईमाम जाफर ए सादिक अ.स.आईम्मा ए अहलेबेत के 12 ईमामों मे से छठे ईमाम हैं  आप की विलादत मदीना मुनव्वरा मे 17 रब्बी उल् अव्वल 83 हिजरी मुताबिक 20 अप्रेल 702 ईसवी बरोज जुमेरात हुई आप के वालिद हज़रत ईमाम मोहम्मद बाकिर अलेह सलाम और वालदा फरदा बिन्ते कासिम रजि• बिन्ते इब्ने मोहम्मद रजि• बिन हज़रत अबूबक्र सिद्दिक रज़ि• थीं

आप का इल्म कमालत, माहारत, शर्क से गर्ब तक मशहुर है सब का इत्तेफाक है के आप के इल्म से तमाम उलेमा तक कासिर थे

सुन्नियों के सब से बड़े ईमाम फिकह हज़रत ईमाम अबू हनीफा नोमानी रजि• आप के शागीर्द थे और अकीदत भी रखते थे

हज़रत ईमाम अबू हनीफा ब गरज हूसूल फैज़ ज़ाहीरी और बातिनी दो साल ईमाम ज़ाफर ए सादिक अ.स. की खीदमत मे रहे

इनका सुलूक बातिनी ईमाम की खीदमत मे ही मुकम्मल हुआ और जब रुख्सत हुए तो हमेशा फरमाते थे अगर दो साल खिदमत के ना मिलते तो नोमान हलाक हो जाता

नकशबंदी सिलसिले के बड़े बुजूर्ग सुलतान उल अरीफींन हज़रत बायज़िद बिस्तामी रज़ि• अरसे तक सिक्का  (पानी भरने  वाले ) दरगाह ए ईमाम जाफर ए सादिक अ.स. रहे हज़रत बायज़िद बिस्तामी रज़ि• का काम और मरतबा आप ही की निगाह ए करम से तकमील को पहूँचा!

वोह कारमात ओ तसर्रूफात जो आपके आबा ओ अजदाद के वक़्त से परदे मे थे आप से बिला तकल्लूफ ज़ाहिर हुए वोह अजीब तरीन इल्म जो वारिसतन सरकार ए दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सिना ब सिना चले आ रहे थे आप ने ज़ाहीर किये  (इस किताब बारह ईमामेंन मे इलमों के नाम और तफसील लिखी गयी है )   

"आप फरमाते थे पुछलो जो कुछ पूछना है हमारे बाद कोई ऐसी बातें बताने वाला नही होगा"

आप से बहुत सी करामात ज़ाहीर हुई

एक दिन हज़रत ईमाम जाफर ए सादिक अलेह सलाम एक गली में से गुजर रहे थे देखा एक औरत अपने बाल बच्चों के साथ बेठी

रो रही है आप ने उस से दरयाफत किया क्यूँ रो रही हो ?

उसने कहा मेरे पास एक गाय थी जिसके दूध पर मेरा और मेरे बच्चों का गुजारा था अब वोह गाय मर गयी हेरान हूँ क्या करूँ

ईमाम अलेह सलाम ने दुआ की और अपना पांव गाय पर मारा गायी खडी हुई और चलने लगी !

मुख्तसर ज़िक्र किताब "बारह ईमामेंन ए मासुमीन" से लिया गया है

मुसन्नीफ - मोलाई व मूर्शीदी मेहबूब उल् अरीफींन हज़रत सय्यद मेहबूब उर् रहमान कादरी ,चिश्ती  नियाजी र.अ.विडंबना रही कि दुनिया ने इमाम जफ़र अल सादिक की खोजों को हमेशा दबाने की कोशिश की. इसके पीछे उस दौर के अरबी शासकों का काफी हाथ रहा जो अपनी ईर्ष्यालू प्रकृति के कारण इनकी खोजों को दुनिया से छुपाने की कोशिश करते रहे.

इसके पीछे उनका डर भी एक कारण था. इमाम की लोकप्रियता में उन्हें हमेशा अपना सिंहासन डोलता हुआ महसूस होता था. इन्हीं सब कारणों से अरबी शासक मंसूर ने 765 में इन्हें ज़हर देकर शहीद कर दिया. और दुनिया को अपने ज्ञान से रोशन करने वाला यह सितारा हमेशा के लिए धरती से दूर हो गया.


बाहरी कडि़यां

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  • ज़ाफ़र अल सादिक़
  • "Ja'far al-Sadiq (Encyclopædia Iranica)". Archived from the original on 20 अक्तूबर 2018. Retrieved 19 अक्तूबर 2018. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  • Ja'far ibn Muhammad (Encyclopædia Britannica)
  • Imam al-Sadiq by Shaykh Mohammed al-Husayn al-Muzaffar
  1. Gleaves, Robert. "JAʿFAR AL-ṢĀDEQ i. Life". Encyclopedia Iranica. Archived from the original on 9 नवंबर 2018. Retrieved 2015. {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= and |archive-date= (help) According to Gleaves, most sources give 702 as the year of his birth, but there are some which give 699 and others which give 705.
  2. Gleaves, Robert. "JAʿFAR AL-ṢĀDEQ i. Life". Encyclopedia Iranica. Archived from the original on 9 नवंबर 2018. Retrieved 2015. {{cite web}}: Check date values in: |accessdate= and |archive-date= (help)
  3. A Brief History of The Fourteen Infallibles. Qum: Ansariyan Publications. 2004. p. 131. ISBN 964-438-127-0.
  4. A Brief History of The Fourteen Infallibles. Qum: Ansariyan Publications. 2004. p. 123. ISBN 964-438-127-0.
  5. Sheikh, Irfan. "Imam Jafar Sadiq Ki Karamat In Hindi इमाम जाफर सादिक की करामात". Irfani-Islam - इस्लाम की पूरी मालूमात हिन्दी. Retrieved 2022-02-12.
  6. Sheikh, Irfan. "Imam Jafar Sadiq Story In Hindi इमाम जाफर सादिक History Family". Irfani-Islam - इस्लाम की पूरी मालूमात हिन्दी. Retrieved 2022-02-12.