जार्ज गुर्जीफ़ [1](31 मार्च 1866/14 जनवरी 1872/28 नवम्बर 1877 – 29 अक्टूबर 1949[2]) एक रूसी दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु थे। गुर्जीफ़ की शिक्षा का आधार था की ज़्यादातर लोगों की चेतना संयुक्त नहीं होती और वो "जागृत सुशुप्ति" की अवस्था में जीते हैं और ऊँची चेतना के द्वारा एक सम्पूर्ण मानव जीवन की सम्भावना सबके लिए है। उनका कहना था कि आदमी नींद में जीता है और नींद में ही मर जाता है। इसीलिए उसके सारे अनुभव पूरी तरह से व्यक्ति सापेक्ष होते हैं। गुर्जीफ़ के अनुसार एक ओर तो ज़्यादातर लोग बेहोश और यंत्रवत जीवन जीते हैं वहीं दूसरी ओर ये पूरी तरह से संभव है कि वे जाग जाएँ और एक बिलकुल नई तरह की ज़िंदगी जिएँ।[3]

जार्ज गुर्जीफ़
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गुर्जीफ़ १९२२ और १९३५ के दौरान
व्यक्तिगत जानकारी
जन्मजार्ज इवानोविच गुर्जीफ़
१८६६-१८७७
अलेजंद्रोपोल, रूसी साम्राज्य
मृत्यु29 अक्टूबर 1949
फ़्रान्स
वृत्तिक जानकारी
  1. The Gurdjieff Foundation New York
  2. James Webb, The Harmonious Circle, Thames and Hudson, 1980, pp. 25–6 provides a range of dates from 1872, 1873, 1874, 1877 to 1886.
  3. Ouspensky, P. D. (1977). In Search of the Miraculous. पपृ॰ 312–313.