जालीदार प्रतिरूप अपवाह तन्त्र का वह रूप है जिसका विकास संरचना में ढाल के अनुरूप विकसित प्रधान अनुवर्ति नदी तथा उसकी सहायक नदियों के प्रवाह काल द्वारा होता है। इस तरह के प्रतिरूप का विकास सामान्यतः अपनतीय कटको तथा अभिनतीय घाटियों वाली सरल वलित संरचना वाले भागो में होता हैं। यह एक जाली की तरह दिखने वाली संरचना होती ह किंतु वास्तविकता में यह बहुत बड़ा तंत्र होता ह जो तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता ह{आधार}}