जालौर दुर्ग
जालौर दुर्ग पर विभिन्न कालों में गुर्जर प्रतिहार, परमार, चालुक्य, चौहान, राठौर, इत्यादि राजवंशों ने शासन किया[1]।किले पर परमार कालीन कीर्ती स्तम्भ कला का उत्कृष्ट नमूना है, दुर्ग का निर्माण परिहार राजाओं ने 8वीं शताब्दी में करवाया था।
कान्हड़देव चौहान के शासनकाल में यहाँ दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने 1311 ई. आक्रमण किया था |
जालौर के किले का तोपखाना बहुत आकर्षक है। इसके विषय में कहा जाता है कि यह परमार राजा भोज द्वारा निर्मित संस्कृत पाठशाला थी, जो कालान्तर में दुर्ग के मुस्लिम अधिपतियों द्वारा मस्जिद परिवर्तित कर दी गयी तथा तोपखाना मस्जिद कहलाने लगी। तथा यह एक जल दुर्ग हैं। 1956[2] में यह दुर्ग संरक्षित स्मारक की श्रेणी में रखा गया।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ CIL. "Forts of Rajasthan". IGNCA. मूल से 25 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 जनवरी 2018.
- ↑ aimectimes (12 जून 2013). "स्वर्णगिरि दुर्ग : जालोर". Pinkcity.com. मूल से 4 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 जनवरी 2018.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- जालौर दुर्ग
- स्वर्णगिरि दुर्ग : जालोर
- राजस्थान के ऐतिहासिक ऐतिहासिक दुर्ग
- जालोर का किला (अंग्रेजी में)
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