जिला योजना समिति पंचायतों तथा नगर पालिकाओं द्वारा तैयार की गई योजनाओं को समेकित करने और सम्पूर्ण जिला के लिए विकास योजना का प्रारूप तैयार करने हेतु सरकार प्रत्येक जिले में एक जिला योजना समिति का गठन करेगी। जिला योजना समिति में निम्नलिखित होंगें:- जिला परिषद के अध्यक्ष जिला मुख्यालय पर अधिकारिता रखने वाली नगरपालिका के महापौर या अध्यक्ष सरकार द्वारा यथा विनिर्दिष्ट समिति के सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम 4/5 भाग सदस्य, जो जिला परिषदके निर्वाचित सदस्यों, जिले की नगर पंचायत और नगर निगम तथा नगरपालिका पर्षद के निर्वाचित पार्षदों के बीच से उनके द्वारा विहित रीति से ग्रामीण क्षेत्र और जिले के शहरी क्षेत्रों के बीच आबादी के अनुपात में राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देषन, नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण में निर्वाचित होंगे। परन्तु यह कि निर्वाचित सदस्यों में से व्यवहारिक रूप से यथाषक्य पचास (50%) प्रतिशत महिलायें होंगी। परन्तु यह और कि यदि अनुसूचित जातियों या पिछड़े वर्ग की कोटियों में से कोई निर्वाचित सदस्य नहीं हो तो सरकार, जिला की पंचायतों तथा नगरपालिकाओं के सदस्यों में से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन जातियों या पिछड़े वर्ग की कोटियों के सदस्यों को इतनी संख्या में मनोनीत कर सकती है, जितना वह उचित समझे।

3.लोक सभा के सभी सदस्यगण जो उस जिला का सम्पूर्ण या किसी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हो, राज्य सभा के सभी सदस्यगण जो उस जिला में निर्वाचक के रूप में निबंधित हो, राज्य विधान सभा के सभी सदस्य जिनका क्षेत्र उस जिला के अन्तर्गत पड़ता हो, राज्य विधान परिषद के सदस्य गण जो उस जिला में निर्वाचक के रूप में निबंधित हो तथा जिला दंडाधिकारी और अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक/भूमि विकास बैंक, समिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य होगें।

4. मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी समिति का सचिव होगा।

5. जिला परिषद का अध्यक्ष जिला योजना समिति का सभापति होगा।

6. जिला योजना समिति जिला में पंचायतों तथा नगर पालिकाओं द्वारा तैयार की गई योजनाओं का समेकन करेगी और पूरे जिला के लिए विकास योजना प्रारूप बनाएगी।

7.प्रत्येक जिला योजना समिति विकास योजना प्रारूप तैयार करते समय:-

(क) निम्नलिखित बातों का ध्यान रखेगी

(i) जिले में जिला परिषद, पंचायत समितियों, ग्राम पंचायतों, नगर पंचायतों, नगर परिषदों तथा नगर निगमों के परस्पर सामान्य हित के मामलों के साथ-साथ स्थानीय योजना, जल एवं अन्य भौतिक और प्राकृतिक साधन स्त्रोत में हिस्सेदारी,आधारभूत सरंचना का समेकित विकास एवं पर्यावरण संरक्षण।

(ii)उपलब्ध संसाधनों का विस्तार एवं प्रकार चाहे वह वित्तीय हो या अन्यथा

(ख) सरकार द्वारा यथा निर्दिष्ट संस्थाओं एवं संगठनों से परामर्श।

8. प्रत्येक जिला योजना समिति का अध्यक्ष ऐसी समिति द्वारा अनुषंसित विकास योजना को सरकार के पास अग्रसारित करेगा।

पंचायतों के लिए वित्त आयोग

सरकार अधिनियम के प्रारम्भ होने पर यथासंभव शीघ्र और इसके बाद हरेक पॉच वर्ष की समाप्ति पर जिला परिषदों,पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने तथा सरकार को वित्तीय मामलों यथा (कर शुल्क तथा फीस अनुदान आदि) में अनुषंसा देने के लिए वित्ता आयोग का गठन करेगी।

वित्त आयोग में अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगें। इस आयोग का उद्देष्य पंचायतों की वित्ताीय स्थिति की समीक्षा पंचायतों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण करना है और राज्य सरकार को निम्नलिखित मुद्दों के संबंध में जरूरी उपायों की सिफारिष करना है। -

राज्य सरकार और पंचायतों में राज्य राजस्व के वितरण को नियंत्रित करने वाला सिद्धांत। पंचायतों को कर, शुल्क एवम् फीस का अवधारण ताकि वे अपनी वित्ताीय शक्तियों के प्रयोग से संसाधन जनित कर सकें। पंचायतों को सहाय्य अनुदान देने का सिद्धांत । पंचायतों की वित्तीय स्थिति बेहतर बनाने के लिए आवश्यक अन्य उपाय।