कोशिकाओं और ऊतकों में किसी जीन की प्रविष्टि कराकर किसी बीमारी की चिकित्सा करना जीन चिकित्सा है, जैसे कि वंशानुगत बीमारी को ठीक करने के लिए उसका कारण बनने वाले किसी घातक उत्परिवर्ती एलील को किसी क्रियाशील जीन से प्रतिस्थापित करना. हालांकि यह विवादास्पद है, लेकिन जीन चिकित्सा से किसी व्यक्ति का जीन समीकरण और कार्य बदल कर उसमें वांछित लक्ष्य की दिशा में मनचाहे बदलाव लाये जा सकते और इससे मानव का आनुवंशिक विकास किया जा सकता है। यद्यपि यह तकनीक अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, इसके प्रयोग में कुछ सफलता प्राप्त हुई है और विज्ञान के क्षेत्र में इसने समस्याओं के कुछ नए और प्रभावी समाधान दिए हैं, जिनकी वजह से जीन चिकित्सा मुख्यधारा की चिकित्सा की और बढ़ती जा रही है। प्रतिसंवेदी उपचार सिर्फ और सिर्फ जीन चिकित्सा नहीं है, बल्कि ये आनुवंशिक-मध्यस्थता से चिकित्सा की पद्धति है जिसे अक्सर दूसरे तरीकों के साथ प्रयोग किया जाता है।

जीन थेरेपी जिसमें एक एडिनोवायरस वाहक का उपयोग होता है। एडिनोवायरस वाहक में एक नया जीन डाला जाता है, जिसका उपयोग संशोधित डीएनए को मानव कोशिका में प्रवेश कराने के लिए किया जाता है। यदि उपचार सफल है तो नविन जीन एक क्रियात्मक प्रोटीन बनाएगा.

जीन चिकित्सा प्रक्रिया के लिए पहली बार लोगों की स्वीकृति पाने का रास्ता बहुत ही कठोर और विवादों से भरा हुआ था। मानव जीन चिकित्सा का विज्ञान बहुत जटिल है और इसमें कई तकनीकें ऐसी है जिन्हें अभी और विकसित किया जाना है, कई और रोग ऐसे हैं जिन्हें अभी पूरी तरह समझने की ज़रुरत है ताकि जीन चिकित्सा को सही ढंग से प्रयोग किया जा सके. आनुवंशिक रूप से अभियन्त्रित पदार्थ को मानव में संभावित प्रयोग किया जाना चाहिए या नहीं इस पर सार्वजनिक नीति क्या हो इस पर होने वाली बहस भी उतनी ही जटिल है। जीव विज्ञान, सरकार, कानून, चिकित्सा, दर्शन, राजनीति और धर्म- इन सभी क्षेत्रों से जुड़े लोग इस चर्चा का हिस्सा रहे हैं और सभी ने चर्चा में एक नया दृष्टिकोण सामने रखा है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]