जुलाहा
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इस्लाम मे जाति बिरादरी नही है क़ुरआन हदीस में कही नही मिलेगा लेकिन कुछ यज़ीदी मौलाना अपने को बड़ा साबित करने के लिए मुसलमान को जातियों में बांट दिया।
बात करी जाऐ जुलाहा बिरादरी की तो असल मे ये अपने आपको अन्सारी लिखते और कहते है। अँसारी मुख्यतः दो तरह के है।
एक वो जो रसूले पाक को सुनकर सबसे पहले ईमान मे दाखिल हुऐ। उन्हे हम मोमीन अँसार भी कहते है। जो कि भारत के दक्षिण भाग मे ज्यादातर है। तथा भारत के पूर्वी हिस्से मे भी है। पूर्व उपराष्ट्रपति Haamid ansari उसी अँसारी बिरादरी से आते है।
दुसरे अँसारी वो होते है जो कपडे की बुनाई का कार्य करते है। उन्हे बुनकर भी कहा जाता है। वो पूर्व मे चमरजुलाहा (कोली) जाति से धर्मान्तरित होकर मुस्लिम जुलाहा बने। जुलाहा असल मे कपडे बुनने वाले को कहा जाता है।
बाद मे ये लोग भी खुद को अँसारी लिखने लगे। ये मुख्यत भारत के उत्तर प्रदेश के पश्चिम मे रहते है। दिल्ली, मेरठ, मुजफ्फरनगर सहारनपुर बिजनौर शामली मे ये बहुसंख्या मे रहते है। तथा बुनकर उद्योग मे अग्रणी रहे है।