जुलूस-ए-गौसिया
जुलूस-ए-गौसिया जिसे आम तौर पर जुलूस-ए-गौस-ए-आज़म भी कहा जाता है, यह एक वार्षिक जुलूस है जिसे गौस-ए-आज़म अब्दुल क़ादिर जीलानी के मृत्यु के दिन ११ रबीयल थानी को मनाया जाता है। यह खास तौर से बरेलवी मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है, और इसमें आगे बढ़-चढ़कर रज़ा अकैडमी एवं सुन्नी दावत-ए-इस्लामी हिस्सा लेती है।
जुलूस-ए-गौसिया | |
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आधिकारिक नाम | जुलूस-ए-गौसिया |
अन्य नाम | गौसिया जुलूस |
अनुयायी | बरेलवी |
Liturgical Color | काला और सफ़ेद |
प्रकार | इस्लाम |
उद्देश्य | अब्दुल क़ादिर जीलानी के मृत्यु को याद करते हुए |
उत्सव | मिलाद एवं जुलूस |
तिथि | ११ रबीयल थानी |
आवृत्ति | वार्षिक |
समान पर्व | अब्दुल क़ादिर जीलानी |
आयोजन
संपादित करेंजुलूस में अब्दुल कादिर जिलानी की याद में गौस-ए-आजम जिंदाबाद और अल मदद पीरान-ए-पीर के नारे लगाए जाते हैं। [1][2][3]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "मुबारकपुर में निकाला गया जुलूस-ए-गौसिया". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-08-15.
- ↑ "'या गौस अल मदद' के नारों से साथ निकला जुलूस-ए-गौसिया". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 2023-08-15.
- ↑ "गौसे आजम जिंदाबाद के नारों से महक उठी फिजा". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 2023-08-15.