जूल्स वर्न
जूल्स वर्न (Jules Verne) (8 फ़रवरी 1828 – 24 मार्च 1905) महान विज्ञान कथाकार का जन्मदिन है। जूल्स वर्न और सुप्रसिद्ध अंग्रेज विज्ञान कथाकार एच॰जी॰ वेल्स को साइंस फिक्शन यानी विज्ञानकथा अथवा विज्ञान गल्प विधा का जनक माना जाता है। हालाँकि न उन्हें और न ही एच॰जी॰ वेल्स को ही पता था कि वे विज्ञानकथा विधा की कहानियाँ लिख रहे हैं।
परिचय
संपादित करेंजूल्स वर्न का जन्म 8 फ़रवरी 1828 को पश्चिमी फ्राँस में सागरतट के शहर नांत्स में हुआ। जूल्स वर्न पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनका बचपन अपने माता-पिता के साथ ही बीता। गर्मियों में उनका परिवार लवार नदी के किनारे के देहाती घर में चला जाता था। वहाँ उस विशाल नदी में आते-जाते जहाज जूल्स वर्न का मन मोह लेते। वे अपने भाई के साथ नाव की खूब सैर करते थे। नौ वर्ष की उम्र में उन्हें और उनके भाई पॉल को सेंट डोनेशियन कॉलेज के बोर्डिंग स्कूल में भर्ती करा दिया गया। जूल्स वर्न घुमक्कड़ी के शौकीन थे। इसी शौक के कारण बारह वर्ष की उम्र में वे एक बार भारत जाने वाले जहाज ‘कोराली‘ के केबिन बाय की कोठरी में चुपचाप छिप गए थे। जहाज चलने पर पता लगा तो उन्हें उतार दिया गया। इस उद्दंडता के लिए पिता ने उनकी जम कर पिटाई की थी। कहते हैं, तब उदास होकर उन्होंने कहा था "अब तो मैं केवल कल्पना में ही सैर कर सकूंगा।"
पिता चाहते थे कि उनका पुत्र वकालत करे। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद जूल्स वर्न वकालत की पढ़ाई के लिए पेरिस चले गए। लेकिन वहाँ उनका रुझान नाटक लेखन की ओर बढ़ता गया। उन्होंने थिएटर के लिए अनेक नाटक लिखे। साथ ही बड़े शौक से कुछ यात्रा कथाएं भी लिखीं जिनमें उनका मन रमने लगा। जब पिता को पता लगा कि उनके पुत्र का वकालत की पढ़ाई के बजाय लिखने में मन रम गया है तो उन्होंने पैसे भेजना बंद कर दिया। तब जूल्स वर्न को पैसों की व्यवस्था के लिए मजबूर होकर पसंद न होने पर भी स्टॉक ब्रोकर का पेशा अपनाना पड़ा। संघर्ष के उन्हीं दिनों में उनकी भेंट प्रसिद्ध लेखक अलैक्जैंडर ड्यूमाज और विक्टर ह्यूगो से हुई। उनकी संगत में जूल्स वर्न को लेखन के लिए और भी अधिक प्रोत्साहन मिला।
अमेरिकी लेखक एडगर एलन पो की कहानियों से जूल्स वर्न बहुत प्रभावित हुए। पो अपनी कहानियों में विज्ञान की संभावनाओं का उपयोग करते थे। एडगर एलन पो की कहानी ‘द बैलून हॉक्स' (1844) से प्रभावित होकर जूल्स वर्न ने आगे चल कर 'फाइव वीक्स इन अ बैलून' (1863) और 'अराउंड द वर्ल्ड इन एटी डेज' (1873) जैसे प्रसिद्ध उपन्यास लिखे।
कहानी लेखन की इस विशिष्ट विधा को साइंस फिक्शन यानी विज्ञानकथा का नाम तो जूल्स वर्न के पहले उपन्यास की रचना के कम से कम 85 वर्ष बाद अमेरिका में मिला। इस विधा के दोनों जनक समकालीन भी नहीं थे। एच॰जी॰ वेल्स का जन्म जूल्स वर्न के जन्म से 38 वर्ष बाद हुआ। जूल्स वर्न ने अपना पहला उपन्यास ‘ए वॉएज़ इन अ बैलून‘ सन् 1851 में लिखा जबकि एच॰जी॰ वेल्स का पहला उपन्यास ‘द टाइम मशीन‘ सन् 1895 में प्रकाशित हुआ। विज्ञानकथा के इन दोनों जनकों की लेखन शैली में भी अंतर था। दोनों ने अलग-अलग प्रकार की कहानियाँ लिखीं। जूल्स वर्न को जहाँ अद्भुत रोमांचक यात्रा कथाओं के रचयिता के रूप में जाना जाता है, वहीं एच॰जी॰ वेल्स मनुष्य और उसके समाज से संबंधित गंभीर विज्ञान कथाओं के रचनाकार माने जाते हैं। समय के बड़े अंतराल के बावजूद लेखकों की यह जोड़ी विज्ञानकथा विधा के जनकों की जोड़ी बन गई।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Works by or about Jules Verne at Internet Archive (scanned books original editions color illustrated)
- जूल्स वर्न at the Internet Speculative Fiction Database
- Les Voyages Extraordinaires — list of Verne works Compiled by Dennis Kytasaari
- Jules Verne's works: text, concordances and frequency list
- Jules Verne: The Definitive Biography
- A Chronology of Jules Verne
- Biography of Jules Verne
- Jules Verne: A Reappraisal, by William Butcher
- Jules Verne: An Exploratory Biography, by Herbert R. Lottman — a review
- A Jules Verne Centennial: 1905–2005
- Academic scholarship on Jules Verne
- A Jules Verne Centenary - special 2005 issue of Science Fiction Studies
- "Jules Verne in English: A Bibliography of Modern Editions and Scholarly Studies"
- List of audio books at LibriVox by Verne
- Zvi Har'El's Jules Verne Collection, including the Jules Verne Virtual Library, online sources of 51 of Jules Verne's novels translated into eight languages
- The Jules Verne Collecting Resource Page, complete online sources, posters, cards, autographs, first edition covers, etc.
- "Jules Verne: Father of Science Fiction?", John Derbyshire, The New Atlantis, Number 12, Spring 2006, pp. 81–90. A review of four new Jules Verne translations from the "Early Classics of Science Fiction" series by Wesleyan University Press.