जेमान प्रभाव

चुंबकीय क्षेत्र में वर्णक्रमीय रेखा विभाजन

सन् 1896 में ज़ेमान (Zeeman) ने सोडियम ज्वाला को एक प्रबल विद्युतचुम्बक के दो ध्रुवों के मध्य रख कर उसके प्रकाश की जाँच की और यह खोज निकाला कि वर्णक्रम की दोनों तीव्र पीली रेखाएँ कुछ चौड़ी हो गईं। यदि वर्णक्रमदर्शी की विभेदन-क्षमता काफ़ी अधिक हो तो चुंबकीय क्षेत्र में रखे प्रकाश स्रोत की प्रत्येक वर्णक्रम रेखा कई घटक रेखाओं में विभाजित हो जाती है। इस घटना को ज़ेमान प्रभाव (Zeeman Effect) कहते हैं। सन् 1892 में फैराडे ने यही प्रभाव देखने का असफल प्रयत्न किया था। अवशोषक माध्यम को चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर अवशोषित रेखाओं का घटकों में विभाजन होता है। इसे व्युत्क्रम (inverse) ज़ेमान प्रभाव कहते हैं।

ज़ेमान प्रभाव देखने के लिये वर्णक्रम रेखाओं को एक उच्च विभेदक क्षमतावाले उपकरण, जैसे लुमर-गेहरके पट्ट (Lummer-Gehrcke plate) और नियम विचलन वर्णक्रमलेखी (spectrograph) के योग द्वारा निरीक्षण किया जाता है। चुंबकीयक्षेत्र की अभिलंब दिशा में निरीक्षण से अनुप्रस्थदृश्य तथा समांतर दिशा में निरीक्षण से अनुदैर्ध्य दृश्य, प्राप्त होता है। अनुदैर्ध्यदृश्य के लिये चुंबक के एक ध्रुव के मध्य में चुंबकीय क्षेत्र के समांतर एक नाली या सुरंग का होना आवश्यक है।

लोरेंट्स (Lorentz) ने अपने द्रव्य और विकिरण के इलेक्ट्रान सिद्धांत के आधार पर इसकी व्याख्या की और यह भविष्यवाणी को कि ये वर्णक्रम रेखाएँ चुंबकीय क्षेत्र द्वारा ध्रुवित हो जानी चाहिए। अनुदैर्ध्यदृश्य में इन रेखाओं में वृत्तीय ध्रुवण और अनुप्रस्थदृश्य में रैखिक ध्रुवण होना चाहिए। इन भविष्यवाणियों का ज़ेमान ने सत्यापन किया। लोरेंट्स ने अपने सिद्धांत द्वारा यह दिखाया कि प्रकाश की वर्णक्रम रेखा को चुंबकीय क्षेत्र की लंबदिशा में देखने पर तीन घटक रेखाएँ दृष्टिगोचर होनी चाहिए

ज़ेमान प्रभाव में जब उपर्युक्त विस्थापन पर केवल तीन घटक रेखाएँ (अनुप्रस्थदृश्य में) देखीं जायँ, उसे प्रकृत ज़ेमान प्रभाव (normal Zeeman effect) कहते हैं तथा उन घटक रेखाओं के नमूने का प्रकृत त्रिक् या लोरेंट्स त्रिक् (normalor Lorentz triplet) कहते हैं। परंतु जब एक वर्णक्रम रेखा कई अधिक घटक रेखाओं में विभाजित हो जाती है, तब उसे अप्रकृत ज़ेमान प्रभाव (anomalous Zeeman effect) कहते हैं, क्योंकि उसकी व्याख्या चिर प्रतिष्ठित सिद्धांत के आधार पर नहीं की जा सकती। प्रकृत ज़ेमान त्रिक् विशेष रूप है और एकक श्रेणी (singlet seres) की वर्णक्रम रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जबकि प्रारंभिक और अंतिम ऊर्जा दशा (energy state) का लैंडे गुणांक (Lande g factor) एक के बराबर होता है। साधारण लोरेंट्स त्रिक् जस्ता (zinc) और कैडमियम (cadmium) के वर्णक्रमों में देखे गए तथा उनके आवृत्तिविस्थापन क़्ध् और क्त की माप से e/m का परिमाण उपर्युक्त सूत्र द्वारा निकाला गया, जो ऋणाग्र किरणों (HP cathode rays) द्वारा निकाले हुए e/m के बराबर पाया गया। यह परिणाम ऐक्य तथा अनुदैर्ध्यदृश्य में वृत्तीय ध्रुवण के घुमाव की प्रेक्षित दिशा, इस बात का प्रमाण हैं कि परमाणवीय वर्णक्रम में विकिरण चलायमान ऋणात्मक विद्युत् आवेश द्वारा निकलता है।

प्रेस्टन (Preston) ने अधिक विक्षेपण और विभेदन-क्षमता वाले उपकरणों के प्रयोग द्वारा यह स्थापित किया कि उसी वर्णक्रम रेखाओं की किसी विशिष्ट श्रेणी का ज़ेमीन-घटक-रेखाओं का नमूना एक ही प्रकार का होता है और उस श्रेणी का लक्षण (characteristic) होता है। इस प्रकार ज़ेमान प्रभाव वर्णक्रम विश्लेषण का विशिष्ट साधन बन गया। सन् 1907 में रूँगे (Runge) ने यह दिखाया कि अप्रकृत ज़ेमान नमूनों की घटक रेखाओं का विस्थापन, प्रकृत त्रिक् रेखाओं के विस्थापन गुणनफल के रूप में प्रकट किया जा सकता है। उदाहरणार्थ (जैसे सोडियम की 5896 A रेखा) के p और s घटकों का विस्थापन और लोरेंट्स इकाइयाँ होगा। (जैसे सोडियम की 5890 A रेखा) के लिये यह विस्थापन लोरेंट्स इकाइयाँ होगा।

ज़ेमान प्रभाव तभी देखा जाता है जब बाह्य चुंबक क्षेत्र इलेक्ट्रॉन की भ्रमि (spin) तथा कक्षा (orbit) गतियों द्वारा उत्पन्न किए गए आंतरिक क्षेत्र से निर्बल होता है; परंतु जब बाह्य क्षेत्र इन आंतरिक क्षेत्रों से अति प्रबल होता है तब ज़ेमान प्रभाव पाश्चन-बैक प्रभाव (Paschen-Back effect) में परिणत हो जाता है। यह प्रभाव सन् 1912 में पाश्चन और बैक ने देखा और यह पाया कि बहुत अधिक तीव्र चुंबक क्षेत्र में प्रकृत ज़ेमान घटक नमूना प्रकृत ज़ेमान घटक नमूना प्रकृत ज़ेमान त्रिक् में बदल जाता है। इसी लिये ज़ेमान प्रभाव वर्णक्रम विश्लेषण और परमाणुओं और आयनों (ions) की इलेक्ट्रॉन रचना का पता लगाने का मुख्य साधन है। सूर्य और तारों में (stars) कुछ रोचक गुणों की खोज ज़ेमान प्रभाव की सहायता से ही की जा सकी है।

बाहरी कड़ियाँ

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[[श्रेणी:क्वांटम भौतिकी]zeeman effect is a part of quantum mechanics physics. We are use this type effect for different type of like electron proton neutron in atoms