जिहाद

इस्लामी शब्द
(जेहाद से अनुप्रेषित)

जिहाद (अरबी: [ جهاد] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)‎ ; जिहाद ) एक अरबी शब्द है। जिसका अर्थ है प्रयत्न करना[1] नैतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए की जाने वाली ज़द्दोज़हद या संघर्ष, किसी जायज़ माँग के लिए भरपूर कोशिश करना या आंदोलन [2] और जिसका मतलब मेहनत और मशक़्क़त करना भी है। इस्लाम में इसकी बड़ी अहमियत है।[3][बेहतर स्रोत वांछित] इसके इस्लामी सन्दर्भ में अर्थ के बहुत से रंग हैं, जैसे कि किसी के बुराई झुकाव के खिलाफ संघर्ष, अविश्वासियों को बदलने का प्रयास, या समाज के नैतिक भरोसे की ओर से प्रयास, इस्लामिक विद्वानों ने आमतौर पर रक्षात्मक युद्ध के साथ सैन्य जिहाद को समानता प्रदान की है। सूफी और पान्थिक मण्डल में, आध्यात्मिक और नैतिक जिहाद को पारम्परिक रूप से अधिक जिहाद के नाम पर बल दिया गया है। इस शब्द ने आतंकवादी समूहों द्वारा अपने उपयोग के द्वारा हाल के दशकों में अतिरिक्त ध्यान आकर्षित किया है।

इस्लाम में इसकी बड़ी अहमियत है। दो तरह के जेहाद बताए गए हैं। एक है जेहाद अल अकबर यानी बड़ा जेहाद और दूसरा है जेहाद अल असग़र यानी छोटा जेहाद और इनमे भी कई प्रकार है।[उद्धरण चाहिए]

जिहाद की परिभाषा

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मौलाना वहीदुद्दीन खान के अनुसार: जिस चीज़ को हम प्रयास या संघर्ष (Struggle) कहते हैं, उसी को अरबी भाषा में जिहाद कहा जाता। यह सामान्य तौर पर भरपूर प्रयास के लिए बोला जाने वाला शब्द है। किसी उद्देश्य को प्राप्त करने जिस प्रकार हर भाषा में शब्द हैं, उसी प्रकार 'जिहाद' का मूल अर्थ है। प्रयास के लिए अरबी भाषा में सभी एक आम शब्द है, लेकिन जिहाद के शब्द में अधिकतम या भरपूर का अंश शामिल है। यानी बहुत ज्यादा या अधिकतम प्रयास करना, जब हम कोशिश या प्रयास का शब्द बोलें तो इसमें पुण्य, इबादत या धार्मिक कार्य की भावना का अर्थ शामिल नहीं रहता, लेकिन जिहाद शब्द जब इस्लामी निर्देश बना तो इसमें यह अर्थ और उद्देश्य भी सम्मिलित हो गया कि प्रयास का अर्थ अगर केवल प्रयास है तो जिहाद का अर्थ एक ऐसा प्रयास करना है, जो इबादत हो और जिसमें लीन होने पर मनुष्य को पुण्य प्राप्त होता हो।” जैसा कि कुरआन में आया है- “और ईश्वर के रास्ते में पूरी कोशिश करो, जैसा कि कोशिश करने का हक़ है। "(कुरआन, सूरह अल-हज, 22:78) अरबी भाषा में 'जिहाद' मूल रूप से केवल प्रयास या भरपूर प्रयास के अर्थ में है। दुश्मन से लड़ाई भी चूँकि प्रयास का ही एक रूप है, इसलिए शाब्दिक अर्थ में नहीं, पर व्यावहारिक दृष्टि से दुश्मन के साथ लड़ाई को भी जिहाद कह दिया जाता है। [4]

जिहाद के विभिन्न प्रकार

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जिहाद-ए-नफ़्स: इन्द्रियों को मारना, अपनी इन्द्रियों पर क़ाबू पाना, आत्म-संयम[5]

जिहाद-बिल-क़लम: सत्य के समर्थन में कलम का उपयोग करना अर्थात् लेख लिखना [6]

जिहाद-बिल-लिसान: ज़बान से जिहाद करना, हक़ और सच्चाई के समर्थन में और असत्य और अन्याय के खि़लाफ़ आवाज़ उठाना[7]

दा'वत-ए-जिहाद: सत्य के समर्थन में युद्ध करने का आह्वान, सत्य की रक्षा के लिए लड़ने का आह्वान[8]

जिहाद अल अकबर

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जेहाद अल अकबर अहिंसात्मक संघर्ष है। सबसे अच्छा जिहाद दण्डकारी सुल्तान के सामने न्याय का शब्द है - इब्न नुहास द्वारा उद्धृत किया गया और इब्न हब्बान द्वारा सुनाई

  1. स्वयं के भीतर मौजूद सभी बुराईयों के खिलाफ लड़ने का प्रयास और समाज में प्रकट होने वाली ऐसी बुराईयों के विरुद्ध लड़ने का प्रयास। (इब्राहिम अबूराबी हार्ट फोर्ड सेमिनरी)
  2. नस्लीय भेद-भाव के विरुद्ध लड़ना और औरतों के अधिकार के लिए प्रयास करना (फरीद एसेक औबर्न सेमिनरी )
  3. एक बेहतर छात्र बनना, एक बेहतर साथी बनना , एक बेहतर व्यावसायी सहयोगी बनना और इन सबसे ऊपर अपने क्रोध को काबू में रखना (ब्रुस लारेंस ड्यूक विश्वविद्यालय)

जिहाद-अल-असग़र

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जिहाद अल असग़र का उद्देश्य इस्लाम के संरक्षण के लिए संघर्ष करना होता है। जब इस्लाम के अनुपालन की आज़ादी न दी जाये, उसमें रुकावट डाली जाए, या किसी मुस्लिम देश पर हमला हो, मुसलमानों का शोषण किया जाए, उनपर अत्याचार किया जाए तो उसको रोकने की कोशिश करना और उसके लिए बलिदान देना जिहाद-अल-असग़र है।

जिहाद शब्द अक्सर कुरान में सैन्य अर्थों के बिना दिखाई देता है, अक्सर मुहावरेदार अभिव्यक्ति "ईश्वर के मार्ग (अल जिहाद फाई सैबिल अल्लाह) में प्रयास कर रहा है"। शास्त्रीय युग के इस्लामिक न्यायविदों और अन्य उलेमा ने मुख्य रूप से एक सैन्य अर्थ में जिहाद की दायित्व को समझ लिया था। उन्होंने जिहाद से सम्बन्धित नियमों का एक विस्तृत सेट विकसित किया, जिसमें उन लोगों को नुकसान पहुँचाने के प्रतिबन्ध शामिल हैं, जो लड़ाई में शामिल नहीं हैं। आधुनिक युग में, जिहाद की धारणा ने अपनी न्यायिक प्रासंगिकता को खो दिया है और इसके बजाय एक वैचारिक और राजनीतिक प्रवचन को जन्म दिया है। जबकि आधुनिक इस्लामिक विद्वानों ने जिहाद की रक्षात्मक और अ-सैन्य पहलुओं पर बल दिया है,

जिहाद का महत्व

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इस्लाम के सभी विद्वान मानते हैं कि इस्लाम के धर्मग्रन्थों यानी कुरान और हदीसों में जिहाद का जितना विस्तृत वर्णन किया गया है, उतना अन्य किसी विषय का नहीं है। कुरान में ‘जिहाद की सबी लिल्लाह’ शब्द पैंतीस और ‘कत्ल’ उनहत्तर बार आया है’ (जिहाद फिक्जे़शन, पृ. ४०)। हालांकि तीन चौथाई कुरान पैगम्बर मुहम्मद पर मक्का में अवतरित हुआ था, मगर यहाँ जिहाद सम्बन्धी पाँच आयतें ही हैं, अधिकांश आयतें मदीना में अवतरित हुईं। मोरे के अनुसार मदीना में अवतरित २४ में से, १९ सूराओं (संखया २, ३, ४, ५, ८, ९, २२, २४, ३३, ४७, ४८, ४९, ५७-६१, ६३ और ६६) में जिहाद का व्यापक र्वान है (इस्लाम दी मेकर ऑफ मेन, पृत्र ३३६)। इसी प्रकार ब्रिगेडियर एस. के. मलिक ने जिहाद की दृष्टि से मदीनाई आयतों को महत्वपूर्ण मानते हुए इनमें से १७ सूराओं की लगभग २५० आयतों का ‘कुरानिक कन्सेप्ट ऑफ वार’ में प्रयोग किया है तथा गैर-मुसलमानों से जिहाद या युद्ध करने सम्बन्धी अनेक नियमों, उपायों एवं तरीकों को बड़ी प्रामाणिकता के साथ बतलाया है जो कि जिहादियों को भड़काने के लिए अक्सर प्रयोग की जाती हैं। डॉ. के. एस. लाल के अनुसार कुरान की कुल ६३२६ आयतों में से लगभग उनतालीस सौा (३९००) आयतें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ढंग से अल्लाह और उसके रसूल (मुहम्मद) में ‘ईमान’ न रखने वाले ‘काफिरों’, ‘मुश्रिकों और मुनाफ़िकों’ से सम्बन्धित हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. प्रोफेसर जियाउर्रहमान आज़मी, कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया (20 दिसम्बर 2021). "जिहाद". www.archive.org. पृष्ठ 299.
  2. "जिहाद के अर्थ". Cite journal requires |journal= (मदद)
  3. "जेहाद का मतलब और संदर्भ?". मूल से 20 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2018.
  4. प्रोफेसर मौलाना वहीदुद्दीन खान, जिहाद क्या है? (20 दिसम्बर 2021). "जिहाद की परिभाष". www.archive.org. पृष्ठ 5.
  5. "जिहाद-ए-नफ़्स के अर्थ". Cite journal requires |journal= (मदद)
  6. "जिहाद-बिल-क़लम". Cite journal requires |journal= (मदद)
  7. "जिहाद-बिल-लिसान". Cite journal requires |journal= (मदद)
  8. "दा'वत-ए-जिहाद". नामालूम प्राचल |https://www.rekhtadictionary.com/meaning-of-daavat-e-jihaad?lang= की उपेक्षा की गयी (मदद); Cite journal requires |journal= (मदद)

बाहरी कड़ियाँ

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