जैत्रसिंह चौहान (ई०१२४८-१२८२) राजस्थान के एक राजा थे।[1] उन्हे रणथम्भौर साम्राज्य का एक महान शासक माना जाता है। रणथम्भौर साम्राज्य में महाराजा जैत्रसिंह का १२४९ ईस्वी के लगभग राज्यारोहण हुआ था। इन्होंने रणथम्भौर साम्राज्य पर ३२ साल तक शासन किया और रणथम्भौर साम्राज्य का विस्तार किया। इनके पुत्र का नाम हम्मीरदेव चौहान था जिन्होंने अपने पिता जैत्रसिंह की याद में रणथंभोर दुर्ग में ३२ खंभो की छतरी का निर्माण करवाया था।

जैत्रसिंह चौहान
जन्म रणथम्भौर, राजस्थाव, भारत
मौत ई० १२०० के बाद
ई० १३०० के पूर्व
उपनाम सम्राट
पेशा महाराजा
बच्चे हम्मीरदेव चौहान

जीवन संपादित करें

जैत्रसिंह के जीवन की प्रमुख घटनाएँ संपादित करें

  1. रणथम्भौर में महाराजा जैत्रसिंह चौहान व दिल्ली सल्तनत के बलबन में १२५७ के लगभग युद्ध हुआ जिसमें बलबन पराजय हुआ
  2. १२५८ में बलबन व जैत्रसिंह चौहान में रणथम्भौर का द्वितीय युद्ध, बलबन की पुन: पराजय
  3. सन् १२५८ से १२८२ तक जैत्रसिंह चौहान द्वारा रणथम्भौर साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार कराया गया
  4. ई०स० १२३७ मे रावत जैत्रसिंह द्वारा सुल्तान बलबन पर विजय[2]
  5. जैत्रसिंह चौहान द्वारा अपने योग्य पुत्र हम्मीरदेव चौहान को १२८२ में रणथम्भौर साम्राज्य का राजा घोषित करना
  6. महाराजा जैत्रसिंह चौहान की पत्नी का नाम हीरा देवी था, इन्हीं के गर्भ से महाराजा हम्मीरदेव चौहान का जन्म हुआ, जो भारत के इतिहास में 'हठी महाराजा' के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 नवंबर 2015.
  2. http://mympsc.com/Article.aspx?ArticleID=368[मृत कड़ियाँ]