जैवसामग्री (biomaterial) ऐसे पदार्थों को कहते हैं जिनका विकास चिकित्सीय उपयोग हेतु जैविक तंत्रों के साथ जुड़ने या सम्पर्क बनाने के उद्देश्य से किया गया हो। जैवसामग्री का उपयोग प्रायः चिकित्सा के लिए (जैसे शरीर के किसी ऊतक के कार्य को ठीक करने, विस्तार करने, मरम्मत करने या प्रतिस्थापित करने के लिए), या निदान (diagnosis) के लिए किया जाता है।

क्षतिग्रस्त श्रोणि-संधि या कुल्हे के जोड़ ( hip joint) के स्थान पर क्रित्रिम अवयवों का उपयोग करके अब शरीर को कार्यशील बनाना सम्भव है।
क्षतिग्रस्त श्रोणि-संधि या कुल्हे के जोड़ ( hip joint) के स्थान पर क्रित्रिम अवयवों का उपयोग करके अब शरीर को कार्यशील बनाना सम्भव है।

जैवसामग्री के अध्ययन को "जैवसामग्री विज्ञान" (biomaterials science) या "जैवसामग्री इंजीनियरी" (biomaterials engineering) कहते हैं। विज्ञान के रूप में जैवसामग्री के अध्ययन को पचार वर्ष से अधिक समय हो चुके हैं। इसका सतत विकास हुआ है और इस समय अनेकों कम्पनियाँ जैवसामग्री का उपयोग करके नए उत्पाद लाने में बहुत अधिक धन खर्च कर रही हैं। जैवसामग्री विज्ञान के अन्तर्गत चिकित्साशास्त्र, जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, ऊतक इंजीनियरी और पदार्थ विज्ञान आदि सभी के तत्त्वों का समावेश है।

यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि जैवसामग्री और जैविक पदार्थ (जैसे अस्थि) एक ही नहीं हैं। जैविक पदार्थ, जीवों द्वारा या जीवों के शरीर में बनते हैं, जबकि जैवसामग्री कृत्रिम ढंग से निर्मित किए जाते हैं। इसके अलावा कोई जैवसामग्री, जैव-अनुकूल ( biocompatible) है या नहीं, यह पारिभाषित करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है क्योंकि किसी प्रसंग में कोई जैवसामग्री जैव-अनुकूल हो सकता है, जबकि किसी दूसरे प्रसंग में हो सकता है कि वह जैव-अनुकूल न हो।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Schmalz, G.; Arenholdt-Bindslev, D. (2008). "Chapter 1: Basic Aspects". Biocompatibility of Dental Materials. Berlin: Springer-Verlag. pp. 1–12. ISBN 9783540777823. Archived from the original on 9 December 2017. Retrieved 29 February 2016.

इन्हें भी देखें संपादित करें