जॉन ऐडम्स
जॉन ऐडम्स (१७३५-१८२६) प्रसिद्ध विद्वान्, सफल विधिज्ञ तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १७९७ से १८०१ तक था। ये फ़ेडरलिस्ट पार्टी से थे।
जॉन ऐडम्स | |
कार्य काल १७९७ – १८०१ | |
जन्म | |
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राजनैतिक पार्टी | फ़ेडरलिस्ट |
धर्म | ईसाई |
परिचय
संपादित करेंजॉन ऐडम्स का जन्म ३० अक्टूबर १७३५ को मेसाचूसेट्स के ब्रेनट्री नामक स्थान में हुआ। इनके पिता कृषक थे। उनके ज्येष्ठ पुत्र जॉन क्विन्सी ऐडम्स भी संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति हुए।
जॉन ने संविधान विशेषज्ञ के रूप में अपनी समसामयिक घटनाओं को प्रभावित किया। सर्वप्रथम ह्विग दल के नेता के रूप में १७६५ के स्टैंप ऐक्ट का विरोध करने में अपनी कर्मठता तथा सक्रियता का परिचय दिया। दिसंबर, १७६५ में राज्यपाल तथा परिषद् के समक्ष भाषण देते हुए उन्होंने ब्रिटिश संसद् में मेसाचूसेट्स का प्रतिनिधान न होने के आधार पर स्टैंप ऐक्ट को अवैध घोषित किया। तथापि १७९८ में उन्होंने बोस्टन हत्याकांड के अभियुक्त ब्रिटिश सैनिकों का पक्ष लेकर उन्हें बचाने का सफल प्रयास किया। अपनी सत्यनिष्ठा तथा न्यायप्रियता के कारण वह मेसाचूसेट्स लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
जॉन ऐडम्स फ़िलाडेल्फ़िया की प्रथम महाद्वीपीय महासभा के निर्वाचित प्रतिनिधि थे। वे स्वतंत्रता की घोषणा करनेवाली समिति के भी सदस्य थे। ऐडम्स नवंबर, १७७८ तक कांग्रेस में रहे और इस अवधि में वे वैदेशिक संबंध समिति के सदस्य तथा युद्धसामग्री बोर्ड के अध्यक्ष रहे और अनेक बार यूरोप के विदेशों में उन्होंने स्वदेश का प्रतिनिधान किया।
१७८५ में ऐडम्स इंग्लैंड के प्रथम राजदूत नियुक्त हुए। क्रांति के उपरांत शांतिकाल की गंभीर स्थिति से उत्पन्न दुर्व्यवस्थाओं ने उनको रूढ़िवादी बना दिया तथापि अपनी रचना संयुक्त राज्य के संविधान के एक प्रतिवाद में वह कुलीन तंत्र के संरक्षक के रूप में प्रकट होते हैं। इस परिवर्तन का उनकी लोकप्रियता पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ा। ऐडम्स पहले संयुक्त राज्य अमरीका के उपराष्ट्रपति, फिर १७९६ में राष्ट्रपति चुने गए। वे संघवादी दल के निर्माताओं में से थे। ऐडम्स के राष्ट्रपतित्व काल के चार वर्ष (१७९७-१८०१) कुछ ऐसी जटिल और विलक्षण घटनाओं से संबद्ध रहे कि उनके भार से उनका भावी जीवन अत्यधिक विषादमय हो गया। जॉन एडम्स 1 नवंबर “1800” में व्हाइट हाउस में रहने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने। विदेशी तथा राजद्रोह संबंधी कानूनों के पास होने से संघवादी दल को अत्यधिक विरोध और क्षति सहनी पड़ी। स्वयं दल के अंतरंग संगठन में भी पारस्परिक मतभेद तथा दलबंदी प्रारंभ हो गई। ऐडम्स और हैमिल्टन एक दूसरे के विरोधी हो गए। ऐडम्स सुयोग्य, सच्चे तथा निर्भीक व्यक्ति थे परंतु अपनी उग्र व्यावहारिकता तथा विवेकहीनता के कारण अपनी अध्यक्षता में संघवादी दल को संगठित रखने में असमर्थ रहे; यहाँ तक कि इनके अपने मंत्रिमंडल के सदस्य भी ऐडम्स के बजाय हैमिल्टन को अपना नेता मानने लगे।
यद्यपि १८०० में राष्ट्रपति पद के लिए उनको दोबारा मनोनीत किया गया परंतु अपने शक्तिशाली विपक्षी टामस जेफ़र्सन से उन्हें हार खानी पड़ी। अपनी पराजय से उनको गहरी पीड़ा पहुँची। तदुपरांत उन्होंने राजनीति से अपना हाथ खींच लिया और विषादपूर्ण जीवन व्यतीत करते रहे। ४ जुलाई १८२६ को स्वतंत्रता की घोषणा की ५० वी वर्षगाँठ के अवसर पर क्विन्सी नामक स्थान में ऐडम्स का देहावसान हुआ।