जॉन जे (John Jay) एक अमेरिकी राजनेता और १७८९-१७९५ काल में उस देश के पहले मुख्य न्यायाधीश थे। उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपिताओं में से एक समझा जाता है।

जॉन जे
John Jay

जॉन जे
जन्म १२ दिसम्बर १७४५
न्यू यॉर्क शहर, न्यू यॉर्क
मौत १७ मई १८२९
बेडफ़र्ड, न्यू यॉर्क
राष्ट्रीयता संयुक्त राज्य अमेरिका
पेशा राजनीतिज्ञ, न्यामूर्ति
प्रसिद्धि का कारण अमेरिका के पहले मुख्य न्यायाधीश
न्यू यॉर्क के राज्यपाल

१७७६ में अमेरिका को अपने स्वतंत्रता संग्राम में विजय मिलने के बाद उन्होंने उस देश में एक संगठित और सशक्त केन्द्रीय सरकार बनाने पर जोर दिया और इस विचार पर आधारित प्रस्तावित संविधान को स्वीकृति मिलने के लिए भरसक प्रयत्न किया। कई राजनेता इसके विरोध में थे और वे चाहते थे कि अमेरिका के तेराह उपनिवेश एक सूत्र में बंधने की बजाए अलग-अलग राष्ट्रों की तरह हों। जॉन जे ने जेम्ज़ मैडिसन और ऐलॅक्सैण्डर हैमिलटन के साथ मिलकर १७८८ में 'फ़ेडेरेलिस्ट पेपर्ज़​' (अर्थ: संघ-समर्थक काग़ज़ात​') के नाम से संविधान के लिए समर्थन बनवाने के लिए एक लेखों की शृंखला प्रकाशित की।[1] १७८९ में यह संविधान मंज़ूर होने के बाद लागू हो गया।

फिर वे फ़ेडेरेलिस्ट पार्टी नमक राजनैतिक दल के नेता रहे और १७९५-१८०१ काल में न्यू यॉर्क राज्य के राज्यपाल रहे। वे अमेरिका की उस समय की दासप्रथा के सख़्त​ विरोध में थे और उन्होंने न्यू यॉर्क में इसे बंद करवाने की बहुत कोशिस करी। १७७७ और १७८५ में उनके पहले दो प्रयास नाकाम रहे लेकिन १७९९ में उन्होंने दासों को धीरे-धीरे आज़ाद करवाने का विधेयक पारित करवा लिया और उनकी १८२९ में हुई मृत्यु से पहले ही न्यू यॉर्क के सभी दास मुक्त किये जा चुके थे।[2]

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  1. The Chronology of American Literature: America's Literary Achievements from the Colonial Era to Modern Times Archived 2013-12-31 at the वेबैक मशीन, Daniel S. Burt, pp. 87, Houghton Mifflin Harcourt, 2004, ISBN 978-0-618-16821-7, ... The letters are one of the finest examples of anti- Federalist thought and help spur Alexander Hamilton, John Jay, and James Madison to write their famous Federalist Papers ...
  2. North of Slavery: The Negro in the Free States, Leon F. Litwack, pp. 7, University of Chicago Press, 2009, ISBN 978-0-226-48587-4, ... "To contend for liberty," John Jay wrote, "and to deny that blessing to others involves an inconsistency not to be excused" ...