ज्येष्ठा नक्षत्र गंड मूल नक्षत्र कहलाता है। यह वृश्चिक राशि में नो या यी यु के नाम से जाना जाता है। राशि स्वामी मंगल व नक्षत्र स्वामी बुध का ऐसे जातकों पर असर देखने को मिलता है। वृश्चिक राशि में जन्मा जातक तुनक मिजाजी, स्फूर्तिवान, स्पष्ट वक्ता व कुछ कटु बोलने वाला होता है।

ज्येष्ठा

नक्षत्र स्वामी बुध के कारण ऐसे जातक प्रत्येक बात को काफी सोच-विचार कर बोलने वाले व भाषा में संतुलित होते हैं। इनकी वाणी में चतुराई देखने को मिलती है। ये हर बात में अपना स्वार्थ अवश्य देखते हैं यदि इन्हें जरा सा भी फायदा दिखाई देता है तो उसका काम करने का तत्पर रहते हैं। मंगल वैसे भी ऊर्जा व साहस के साथ महत्वाकांक्षा का कारक है।

वहीं बुध वाणिक ग्रह है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक को बचपन से ही बुध की महादशा चंद्र के आशानुसार 17 वर्ष या कम भी हो सकती है। इसके बाद केतु 7 वर्ष व सर्वाधिक 20 वर्ष की शुक्र की महादशा लगती है। अतः इस नक्षत्र में जन्मे जातकों के लिए केतु व शुक्र का शुभ होना इनके जीवन को उन्नतशील बनाएगा। वहीं विद्या नौकरी व व्यापार में इन्ही दशाओं में ग्रह स्थितिनुसार फल पाता है।