झाँसी की रानी (उपन्यास)
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हिंदी लेखक वृंदावनलाल वर्मा द्वारा लिखित एक ऐतिहासिक उपन्यास है। इसका प्रथम प्रकाशन सन् 1946 में हुआ।[2][3] 1946 से 1948 के बीच लेखक ने इसी शीर्षक से एक नाटक भी लिखा जिसे 1955 में मंचित किया गया[4] हालाँकि, उपन्यास अधिक प्रसिद्ध हुआ और इसे हिंदी भाषा में ऐतिहासिक उपन्यासों की श्रेणी में एक मील का पत्थर माना जाता है।[5] 1951 में इस उपन्यास का पुनर्प्रकाशन हुआ।[6]
लेखक | वृंदावनलाल वर्मा |
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भाषा | हिन्दी |
विषय | रानी लक्ष्मीबाई |
शैली | ऐतिहासिक उपन्यास |
स्थित स्थान | ब्रिटिश कालीन भारत |
प्रकाशन तिथि | 1946[1] |
प्रकाशन स्थान | भारत |
उपन्यास का कथानक भारत में ब्रिटिश राज के काल में मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर आधारित है। साथ ही यह 1857 के विद्रोह की आधुनिक व्याख्या भी प्रस्तुत करता है।[7]
मूल्यांकन
संपादित करेंउपन्यास के लेखक वृन्दावनलाल वर्मा उपन्यास की भूमिका में विस्तार से लिखते हैं कि उपन्यास की रचना दरअसल इस खोज से भी सम्बंधित थी कि रानी वास्तव में स्वराज के लिए लड़ीं अथवा केवल आपने शासन को बचाने के लिए, और लेखक का कथन है कि उन्हें जो भी लिखित दस्तावेज प्राप्त हो पाए वे काफ़ी अपर्याप्त थे, हालाँकि, कई लोगों से मिलकर साक्षात्कार द्वारा और उन्हें जो कहानियाँ सुनने को मिलीं उनसे लेखक को प्रगाढ़ विश्वास हो जाता है कि रानी ने अंग्रेजों से स्वराज के लिए युद्ध किया था।[8] इस प्रकार उपन्यास पर इतिहास के व्यक्तिगत अनुस्मरण होने का आरोप भी लगता है।[9]
उपन्यास का प्रकाशन 1949 में और पुनर्प्रकाशन 1951 में हुआ।[6] इससे पहले वर्मा ने कई कहानियाँ और कुछ उपन्यास प्रकाशित कराये थे लेकिन इस उपन्यास ने उन्हें हिन्दी साहित्य के अग्रगण्य रचनाकारों के रूप में स्थापित कर दिया और उन्हें ख़ास तौर से इस उपन्यास के लिए 1954 में भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया।[9]
उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी रचना वर्मा ने उस काल में की जब हिंदी में ऐतिहासिक उपन्यासों की भारी कमी थी। ऐसे में उनके इस तरह के उपन्यासों की रचना से न केवल हिंदी साहित्य इस विधा में भी समृद्ध हुआ बल्कि परवर्ती अंग्रेज विद्वानों ने भी इन रचनाओं को मील का पत्थर घोषित किया।[5]
गणेश शंकर विद्यार्थी ने वृंदावनलाल वर्मा के उपन्यास गढ़ कुंडार को अंग्रेजी लेखक वाल्टर स्काट के टक्कर का बताया था और आगे चलकर झाँसी की रानी और मृगनयनी जैसे उपन्यासों की रचना करने वाले वर्मा अपने इन्ही ऐतिहासिक उपन्यासों के बदौलत "हिंदी के वाल्टर स्काट" कहलाये।[10] झाँसी की रानी को हिंदी का सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास भी माना जाता है। [11]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ मोहन लाल 1992, पृ॰ 4505.
- ↑ मोहन लाल 1992.
- ↑ वृंदावनलाल वर्मा 2001, पृ॰ 11.
- ↑ शिशिर कुमार दास 1991.
- ↑ अ आ K. M. George 1992, पृ॰ 165.
- ↑ अ आ Marina Carter 2017, पृ॰ xlv.
- ↑ सत्येन्द्र कुश 2000, पृ॰ 195-196.
- ↑ वृंदावनलाल वर्मा 2001, पृ॰ 7-10.
- ↑ अ आ हरलीन सिंह 2014, पृ॰ 111.
- ↑ Sri Tilak 2013, पृ॰ 534.
- ↑ Joyce Lebra-Chapman 1986, पृ॰ 181.
स्रोत ग्रन्थ
संपादित करें- वृंदावनलाल वर्मा (2001). Lakshmi Bai, the Rani of Jhansi. Ocean Books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-87100-54-6. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
- Sri Tilak (2013). Ganeshshankar Vidyarthi (Vol 1). Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5048-271-1. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
- मोहन लाल (1992). Encyclopaedia of Indian Literature: Sasay to Zorgot. Sahitya Akademi. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-260-1221-3. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
- शिशिर कुमार दास (1991). History of Indian Literature: 1911-1956, struggle for freedom : triumph and tragedy. Sahitya Akademi. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7201-798-9. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
- सत्येन्द्र कुश (1 January 2000). Dictionary of Hindu Literature. Sarup & Sons. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7625-159-4. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
- Crispin Bates; Marina Carter (2 January 2017). Mutiny at the Margins: New Perspectives on the Indian Uprising of 1857: Documents of the Indian Uprising. SAGE Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-85985-75-1.
- हरलीन सिंह (9 June 2014). The Rani of Jhansi: Gender, History, and Fable in India. Cambridge University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-107-04280-3. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
- K. M. George (1992). Modern Indian Literature, an Anthology: Surveys and poems. Sahitya Akademi. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7201-324-0. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
- Joyce Lebra-Chapman (1986). The Rani of Jhansi: A Study in Female Heroism in India. University of Hawaii Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8248-0984-3. मूल से 24 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अप्रैल 2017.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- उपन्यास के कुछ अंश, pustak.com पर।
- अंग्रेजी अनुवाद, गूगल पुस्तक पर।
- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई - सरल सहज समीक्षा, ऍस॰ ऍच॰ शर्मा, इंडियन जर्नल ऑफ़ अप्लाइड रिसर्च. भाग-1, अंक-9, जून 2012. पृष्ठ सं॰ 127-128.