झाबुआ नन बलात्कार मामला
झाबुआ नन बलात्कार मामला एक ऐसा मामला है जिसमें 24 आदिवासियों के एक समूह द्वारा 1998 में भारत के राज्य मध्य प्रदेश में झाबुआ जिले में चार ननों का कथित रूप से बलात्कार किया गया था।
झाबुआ की एक अदालत ने एक स्थानीय वकील द्वारा दायर नागरिक मानहानि के मुकदमा में हिंदू संगठनों पर आरोप लगाने के लिए तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और 14 अन्य के खिलाफ वारंट जारी किया।[1][2] भोपाल की एक अदालत ने वारंट उस समय रद्द कर दिया जब दिग्विजय उपस्थित हुए और 5000 रुपये का मुचलका भरा।[3][4] भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता उमा भारती ने बाद में टिप्पणी की कि ईसाई नन के साथ बलात्कार करने वालों में से 12 खुद को आदिवासी ईसाई थे और यह एक विडंबना है कि इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का लिए कुछ लोग प्रयास कर रहे हैं।[5]
इस मामले को अरुण शौरी ने अपनी पुस्तक हार्वेस्टिंग अवर सोल्स में वर्णित किया है और कहा है कि यह हिंदुओं को बदनाम करने के लिए एक झूठा आरोप है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Warrant against Digvijay cancelled". Chennai, India: द हिन्दू. 27 दिसम्बर 2003. मूल से 22 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2014.
- ↑ "Two held in MP nuns rape case". द इंडियन एक्सप्रेस. मूल से 20 जुलाई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2014.
- ↑ "Warrant against Digvijay cancelled". Chennai, India: द हिन्दू. 27 दिसम्बर 2003. मूल से 22 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2014.
- ↑ "Two held in MP nuns rape case". द इंडियन एक्सप्रेस. मूल से 20 जुलाई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2014.
- ↑ Don't give communal colour to atrocities, warn ministers Indian Express - 16 दिसम्बर 1998