झोऊ राजवंश
झोऊ राजवंश (चीनी: 周朝, झोऊ चाओ; पिनयिन अंग्रेज़ीकरण: Zhou dynasty) प्राचीन चीन में १०४६ ईसापूर्व से २५६ ईसापूर्व तक शासन करने वाला एक राजवंश था। हालांकि झोऊ राजवंश का शासन चीन के किसी भी अन्य राजवंश की तुलना में लम्बे काल के लिए चला, वास्तव में झोऊ राजवंश के शाही परिवार ने, जिसका पारिवारिक नाम 'जी' (姬, Ji) था, चीन पर स्वयं राज केवल ७७१ ईसापूर्व तक किया। झोऊ राजवंश के इस १०४६ से ७७१ ईसापूर्व के काल को, जब जी परिवार का चीन पर निजी नियंत्रण था, पश्चिमी झोऊ राजवंश काल कहा जाता है। ७७१ ईसापूर्व के बाद के काल को पूर्वी झोऊ राजवंश काल कहा जाता है।[1]
झोऊ काल में ही चीन में लोहे का प्रयोग शुरू हुआ और चीन ने लौह युग में प्रवेश किया, हालांकि कांस्य युग से चीन में चल रही कांसे की कारीगिरी झोऊ युग में परम ऊँचाइयों पर थी।[2] झोऊ राजवंश के ही ज़माने में चीन की प्राचीन चित्रलिपि को विकसित करके एक आधुनिक रूप दिया गया। यह पूर्वी झोऊ राजकाल के उस उपभाग में हुआ जिसे झगड़ते राज्यों का काल कहा जाता है। झोऊ राजवंश से पहले शांग राजवंश का चीनी सभ्यता पर राज था और उसके पतन के बाद चीन में चिन राजवंश सत्ता में आया।
झोऊ काल के तीन विभाग
संपादित करेंझोऊ काल को तीन हिस्सों में बांटा जाता है -
- पश्चिमी झोऊ काल - इसमें झोऊ साम्राज्य की नीव रखी गई। झोऊ वंश ने शांग राजवंश को पराजित को कर दिया, लेकिन इतने बड़े राज्य को व्यवस्थित करने की क्षमता इनमें नहीं थी। प्रथम झोऊ महाराज वू ने इस कठिनाई का हल निकालने के लिए, चंगझोऊ शहर को राजधानी बनाया और वहाँ स्वयं विराजमान हो गए। बाक़ी राज्य उन्होंने अपने भाई-बंधुओं के नेतृत्व में जागीरों में बाँट दिया। हर उपराज्य की अलग राजधानी थी और वे सब मुख्य सम्राट के अधीन थे। समय के साथ सत्ता की वजह से इन पारिवारिक और मित्रता के रिश्तों में तनाव आ गया और ७७१ में केन्द्रीय सरकार समाप्त हो गई और हर राज्य खंडित रूप से चलने लगा। इस नए काल को 'पूर्वी झोऊ काल' कहते हैं, जिसके स्वयं दो भाग किये जाते हैं।
- बसंत और शरद काल - यह पूर्वी झोऊ काल का पहला हिस्सा था जो ७७१ ईसापूर्व से ४८१ ईसापूर्व तक चला। इसका नाम उस समय के एक प्रसिद्ध इतिहास-ग्रन्थ के नाम पर पड़ा है।
- झगड़ते राज्यों का काल - यह पूर्वी झोऊ काल का दूसरा हिस्सा था जो ४०३ ईसापूर्व से २२१ ईसापूर्व तक चला।
पूर्वी झोऊ काल में चीनी राष्ट्र की एकता खंडित हो गई थी, लेकिन इस से एक स्वतंत्रता का माहौल भी पनपा जिसमें बहुत सी नयी विचारधाराएँ विकसित हुई। इस खुले वातावरण को सौ विचारधाराओं का युग भी कहा जाता है। इनमें से चार विचारधाराओं ने आगे चलकर चीनी राजनीति और संस्कृति पर गहरे प्रभाव छोड़े: कन्फ़्यूशियस-वाद (儒學, Confucianism), मोही-वाद (墨家, Mohism), ताओ-वाद (道教, Taoism) और न्याय-वाद (法家, Legalism)।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ A History of China Archived 2014-09-20 at the वेबैक मशीन, Dr John A.G. Roberts, Palgrave Macmillan, 2011, ISBN 978-0-230-34536-2, ... period is divided into the Western Zhou, from 1122 to 771 BCE, and the Eastern Zhou, the latter age being further subdivided into the Spring and Autumn period, from 771 to 481 BCE, and the Warring States period, from 481 to 221 BCE ...
- ↑ Sources of Western Zhou history: inscribed bronze vessels Archived 2014-09-20 at the वेबैक मशीन, Edward L. Shaughnessy, University of California Press, 1991, ISBN 978-0-520-07028-8