टाग्मा (जीवविज्ञान)
कीड़ों के शरीर का एक अंग
जीवविज्ञान में टाग्मा (tagma), जिसका बहुवचन टागमाटा (tagmata) होता है, कुछ जीवों की शारीरिक योजना में मध्यावयवियों (मेटामरों) का ऐसा कोई समूह विशेष होता है जो शरीर के अन्य भागों से अलग हो या जिसका कोई विशेष कार्य हो। टाग्मा के मध्यावयवी या तो एक-दूसरे से पूर्णतया जुड़े होते हैं (जैसे कि किसी कीट से सर में) या ऐसे जुड़े होते हैं कि अलग-अलग हिल सकें (जैसे अधिकतर कीटों के धड़ में)।[1][2]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Alessandro Minelli (2003). "Body Regions: Their Boundaries and Complexity". The development of animal form: ontogeny, morphology, and evolution. Cambridge University Press. पपृ॰ 79–105. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-80851-4.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ D. R. Khanna (2004). Biology of Arthropoda. Discovery Publishing House. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7141-897-8.