टाटा स्मारक केन्द्र

मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत में स्थित अस्पताल


टाटा स्मारक केन्द्र (टाटा मेमोरियल सेन्टर) परेल, मुम्बई (भारत) में स्थित है। यह कैंसर के इलाज और अनुसंधान का केंद्र है। यह संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा सहायताप्राप्त संस्थान है। टीएमसी इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि निजी परोपकार एवं सार्वजनिक सहयोग कितनी अच्छी तरह एक साथ काम कर सकते हैं।

टाटा स्मारक केन्द्र (टाटा मेमोरियल अस्पताल)
चित्र:Tata Memorial Hospital Logo.svg
भौगोलिक स्थिति
स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत
संगठन
वित्त सरकार
इतिहास
स्थापना 28 फ़रवरी 1941
कड़ियाँ
जालस्थल जालस्थल
सूचियाँ

आज, टीएमसी भारत में कैंसर के लगभग एक तिहाई रोगियों का इलाज करता है। वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र का यह एक महत्वपूर्ण स्थल है जहां प्राथमिक चिकित्सा के लिए आने वाले 60 प्रतिशत रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जाता है।

यह केंद्र कैंसर के क्षेत्र में शिक्षा पर काफी जोर देता है। 250 से अधिक छात्रों, चिकित्सा पेशेवरों, वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को अस्पताल में प्रशिक्षण दिया जाता है। भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग ने भारत और दक्षिण एशिया के लिए प्रासंगिक कैंसर में अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नवी मुंबई में खारघर में 'एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट एंड एजुकेशन इन कैंसर' नामक एक अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित किया है।

1932 में मेहरबाई टाटा की रक्त कैंसर से मृत्यु होने के बाद, उनके पति दोराबजी टाटा उस अस्पताल जैसी एक सुविधा भारत में लाना चाहते थे, जहाँ उनकी पत्नी का इलाज किया गया था। दोराबजी की मृत्यु के बाद, उनके उत्तराधिकारी, नोरोज़ी सकलतवाला, ने इस प्रयास को आगे बढ़ाया। अन्ततः जेआरडी टाटा के समर्थन के परिणामस्वरूप 28 फरवरी 1941 को मुंबई के मजदूर इलाके परेल के बीचोंबीच, एक सात मंजिला भवन, टाटा मेमोरियल अस्पताल का सपना साकार हुआ।

1957 में, भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्थायी रूप से टाटा मेमोरियल अस्पताल को अपने नियंत्रण में ले लिया। लेकिन जेआरडी टाटा और भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के अग्रणी - होमी जहांगीर भाभा यह अनुमान लगा पाए कि कैंसर के इलाज के दौरन इमेजिंग से स्टेजिंग और वास्तविक उपचार तक की प्रक्रिया में विकिरण की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। 1962 में अस्पताल का प्रशासनिक नियंत्रण भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) में स्थानांतरित कर दिया गया। चार साल के बाद, 1952 में स्थापित कैंसर अनुसंधान संस्थान और टीएमसी का विलय कर दिया गया।

15,000 वर्ग मीटर के एक क्षेत्र में फैले 80 बेड वाले अस्पताल से शुरू होकर टीएमसी अब 600 से अधिक बेड के साथ लगभग 70,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। 1941 में जो वार्षिक बजट रु. 5 लाख का था, वह अब रु. 120 करोड़ के करीब हो चुका है।

कुछ प्रमुख तथ्य

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  • 2008 में टीएमसी में कुछ 52,000 रोगियों का इलाज किया गया था, उनमें से लगभग 65 प्रतिशत का निःशुल्क इलाज किया गया था। इस सेंटर में 620 आतंरिक रोगी बेड (98 प्रतिशत भरे हुए) हैं और प्रतिदिन 140 रोगियों का इलाज किया जाता है।
  • टीएमसी को भारत भर में कई कैंसर केन्द्रों का सहयोग प्राप्त है, उनमें अहमदाबाद, तिरूवनंतपुरम, नागपुर, ग्वालियर और हैदराबाद स्थित क्षेत्रीय कैंसर केंद्र, सिविल अस्पताल, शिलांग और जोरहट अस्पताल, जोरहट (असम) हैं।
  • टीएमसी में कोई 300 स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट छात्र हैं और इसका अपना विश्वविद्यालय भी है। इस केन्द्र में जनरल सर्जरी, रेडियोथेरेपी, पैथोलॉजी और अनेस्थिसियोलॉजी, सुपर स्पेशियलिटी कार्यक्रमों और अनुसंधान कार्यक्रमों में आवासीय कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इसके अलावा यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी आयोजित करता है जिनकी अवधि छह से अठारह माह होती है और दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम भी संचालित करता है।
  • यह केंद्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, वाशिंगटन डीसी (यूएसए), आईएआरसी, ल्योन(फ़्रांस) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ सहयोगात्मक पहलों का संचालन करता है।
  • 2002 में, टीएमसी ने खारघर, नवी मुंबई में एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट एजुकेशन एंड रिसर्च इन कैंसर (एसीटीआरईसी) की स्थापना की। मुंबई की सैटेलाईट सिटी में 60 एकड़ में फैले हुए, एसीटीआरईसी में एक क्लीनिकल रिसर्च सेंटर और एक कैंसर रिसर्च सेंटर है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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