तकनीकी विश्लेषण अथवा टेक्निकल एनालिसिस (अंग्रेज़ी: Technical analysis,) विभिन्न प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) (जैसे शेयर आदि) का विश्लेषण करने की विधा है। इसकी सहायता से भविष्य में इनके मूल्यों के बढ़ने-घटने के बारे में अनुमान लगाया जाता है। इसके लिये भूतकाल में इन सेक्योरिटीज के मूल्यों एवं उनके क्रय-विक्रय की मात्रा (वॉलुम) आदि का अध्ययन किया जाता है।

आसान भाषा में "ट्रेडर्स तकनीकी विश्लेषण का इस्तेमाल करके बीते हुए शेयर के मूल्य की गति और दिशा को देखकर यह अनुमान लगाते हैं कि भविष्य में वह शेयर का मूल्य किस प्रकार का व्यवहार करके किस दिशा में जाएगा।"

तरह-तरह के चार्ट संपादित करें

टेक्निकल एनालिसिस समझने के लिए सबसे पहले चार्ट को समझने की जरूरत है। चार्ट चार तरह के होते हैं-

लाइन चार्ट, बार चार्ट, कैंडलस्टिक चार्ट और पॉइंट एंड फिगर चार्ट।

बार चार्ट संपादित करें

बार चार्ट में बहुत सारी लंबवत (वर्टिकल) लकीरें होती हैं, जिन्हें बार कहते हैं। इनमें हर लकीर के दोनों ओर 2 बहुत छोटी-छोटी क्षैतिज लकीरें होती हैं। एक बार में चार सूचनाएं होती हैं। बार का सबसे ऊपरी सिरा, किसी खास दिन पर शेयर का अधिकतम भाव बताता है, जबकि निचला सिरा उसी दिन शेयर के न्यूनतम भाव बताता है। बार के बाईं ओर जो क्षैतिज छोटी रेखा होती है, वह शेयर के खुलने का भाव बताती है और दाईं ओर की क्षैतिज छोटी रेखा शेयर का क्लोजिंग भाव बताती है।

बार चार्ट कैसे तैयार होता है?

दिनों को एक्स अक्ष और भाव को वाई अक्ष पर रख कर हर दिन के लिए एक बार खींचा जाता है और फिर बहुत से बार मिलकर एक चार्ट तैयार करते हैं। इस चार्ट में गिरावट वाले दिनों (यानी जब बाईं ओर की क्षैतिज रेखा ऊपर हो और दाईं ओर की नीचे) को लाल या काले रंग में दिखाया जाता है और बढ़त वाले दिनों (यानी जब बाईं ओर की क्षैतिज रेखा, दाईं के मुकाबले नीचे हो) को हरा या सफेद दिखाया जाता है।

टेक्निकल एनालिसिस में वॉल्यूम का क्या महत्व है? संपादित करें

वॉल्यूम यानी कारोबार किए गए शेयरों की संख्या। जैसा कि 18 जून को तकनीकी विश्लेषण की पहली कड़ी में बताया गया था कि टेक्निकल एनालिसिस दरअसल पूरे बाजार के मनोविज्ञान को पढ़ने का एक विज्ञान है। तो स्वाभाविक है कि इस मनोविज्ञान का सही निष्कर्ष केवल तभी निकाला जा सकेगा अगर ज्यादा से ज्यादा लोग भागीदारी कर रहे हों। क्योंकि कम वॉल्यूम वाले शेयरों में अक्सर कीमतों का नियंत्रण कुछ ऑपरेटरों के हाथ में होता है।

तकनीकी विश्लेषण के सिद्धांत क्या है ? संपादित करें

तकनीकी विश्लेषण के मुख्यतः तीन सिद्धांत होते हैं जो इस प्रकार है :-

1) इसमें मौलिक विश्लेषण या फंडामेंटल एनालिसिस करना जरूरी नहीं होता

अगर आसान भाषा में समझे तो किसी भी शेयर के मूल्य की वर्तमान स्थिति में उसे शेयर का मौलिक विश्लेषण उपस्थित होता है, इसलिए ट्रेडर्स को मौलिक विश्लेषण या फंडामेंटल एनालिसिस करना जरूरी नहीं होता ।

2) ट्रेंड के अनुसार चले

किसी भी कंपनी का शेयर ट्रेंड के अनुसार ही चलता है, यानी किसी भी कंपनी का शेयर ऊपर या नीचे होता है तो वह एक ट्रेंड को फॉलो कर रहा होता है। जैसे कोई कंपनी का शेयर ऊपर जा रहा होता है तो वह अब ट्रेंड को फॉलो करके जाता है, ठीक उसी तरह जब कोई कंपनी का शेयर नीचे जा रहा होता है तो वह डाउन ट्रेंड को फॉलो करके नीचे जाता है और यदि किसी कंपनी का शेयर ना तो ऊपर जाता है और ना ही नीचे वह एक ही जोन में घूमता रहता है तो उसे साइडवेज ट्रेंड दे कहते हैं। इसलिए तकनीकी विश्लेषण करने वाले लोगों को हमेशा ही ट्रेंड को फॉलो करना चाहिए ।

3) शेयर की मूल्य का इतिहास और उसकी दिशा दोहराती है

इसका आसान भाषा में यह मतलब है कि किसी कंपनी के शेर का मूल्य भूतकाल में जिस प्रकार का व्यवहार करके किसी एक निश्चित दिशा में जाने लगता है, तो भविष्य में भी अगर उस प्रकार का व्यवहार उस शेयर के मूल्य में दिखाई पड़ता है, तो इसका ज्यादातर संभावना यह है कि वह इस दिशा में जाएगा।

टेक्निकल एनालिसिस या तकनीकी विश्लेषण के टूल्स/औजार क्या-क्या है ? संपादित करें

टेक्निकल एनालिसिस या तकनीकी विश्लेषण के ओजार निम्न है :-

1) चार्ट्स

किसी भी शेयर मूल्य के चार्ट्स को देखकर कोई भी ट्रेडर यह विश्लेषण करके समझ सकता है, कि उसे शेयर के मूल्य का भूतकाल में किस प्रकार का व्यवहार रहा है और वह भविष्य में किस प्रकार का व्यवहार कर सकता है। शेयर का मूल्य, कैंडलेस्टिक पेटर्न्स, चार्ट पेटर्न्स, सपोर्ट या रेजिस्टेंस, डिमांड या सप्लाई इत्यादि मिलकर एक चार्ट्स का निर्माण करते हैं।

2) मोमेंटम इंडिकेटर

तकनीकी विश्लेषण का दूसरा औजार मोमेंटम इंडिकेटर होता है इसमें तकनीकी विश्लेषण करने वाले ट्रेडर्स को शेयर का मूल्य और वॉल्यूम के डाटा को विश्लेषण करके कुछ आंकड़े दिए जाते हैं, जो भविष्य में शेयर के मूल्य की दिशा और व्यवहार को निर्धारित करने में ट्रेडर्स की मदद करता है । इंडिकेटर कई प्रकार के होते हैं जैसे RSI, MSCD, VWAP इत्यादि ।

3) मूविंग एवरेज

तकनीकी विश्लेषण का तीसरा औजार मूविंग एवरेज होता है, इसकी मदद से हम बाजार में आने वाली गिरावट से बच सकते हैं । कई बार बाजार में गिरावट बहुत ही तेजी से आते हैं और इस प्रकार के गिरावट को पकड़ना काफी मुश्किल होता है, तो उसे वक्त मूविंग एवरेज हमारी मदद करता है। मूविंग एवरेज कई प्रकार के होते हैं जैसे मूविंग एवरेज 9, मूविंग एवरेज 20, मूविंग एवरेज 50, मूविंग एवरेज 100 इत्यादि।

तकनीकी विश्लेषण के लाभ और हानि क्या-क्या है ? संपादित करें

लाभ :-

तकनीकी विश्लेषण की मदद से हम वर्तमान और भविष्य में होने वाले शेयर के मूल्य की संभावना और दिशा को पहचान सकते हैं, अलग-अलग तकनीकी विश्लेषण औजार की मदद से जिसे हम लोगों ने पहले जान लिया है।

तकनीकी विश्लेषण से हम यह आसानी से जान सकते हैं कि हमें किसी शेयर को कब खरीदना चाहिए और कब बचना चाहिए। उदाहरण के लिए अगर किसी शेयर का मूल्य सपोर्ट पर है तो उसे हम खरीद सकते हैं और यदि रेजिस्टेंस पर है तो उसे हमें बेच देना चाहिए।

हानि :-

तकनीकी विश्लेषण से हानि यह है कि जिस प्रकार के औजार का हम लोग इस्तेमाल करते हैं उन्हें औजारों को और भी लोग इस्तेमाल कर रहे होते हैं। आप उसे औजार के माध्यम से किसी शेयर के मूल्य की दिशा और उसका व्यवहार जिस प्रकार निश्चित करके ट्रेड लेते हैं, ठीक उसी प्रकार से कोई और व्यक्ति इस औजार का इस्तेमाल करके अलग दिशा मैं ट्रेड लेता है।

यानी आप तकनीकी विश्लेषण के औजार का इस्तेमाल करके अगर किसी शेयर के सही दिशा और व्यवहार को समझ पाते हैं, तो आपको उसकी मदद से प्रॉफिट अवश्य होता है, किंतु अगर आप गलत दिशा का चयन करते हैं तो आपको नुकसान का भी सामना करना पड़ सकता है।

अगर आप तकनीकी विश्लेषण के औजार का इस्तेमाल करके ट्रेड लेते हैं, तो आपको ध्यान पूर्वक ट्रेड लेना पड़ता है, क्योंकि आपका एक गलत निर्णय आपको नुकसान दे सकता है। और सबसे ज्यादा ध्यान उन लोगों को देना चाहिए जो मार्केट में नए आते हैं, क्योंकि उन्हें कम अनुभव होता है और अनुभव की कमी आपको नुकसान दिला सकती है।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें