शीतयुद्ध के समय सोवियत संघ के विस्तार को रोकने की अमेरिकी नीति को ट्रूमैन सिद्वान्त (Truman Doctrine) कहा गया। इसे रोकथाम की नीति भी कहाँ जाता है। अमेरिका के उस समय के राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने यूरोप तथा अन्य क्षेत्रों में साम्यवाद के प्रसार को रोकने की प्रतिज्ञा की थी और अमेरिका को ऐसे देशों को आर्थिक तथा सैनिक सहायता देने को वाध्य किया जिनके स्थायित्व को साम्यवाद से खतरा दिखता था।

हैरी ट्रूमैन

ट्रूमैन सिद्धांत अमेरिकी विदेश नीति की नींव बन गया, और 1949 में, नाटो के गठन के लिए नेतृत्व किया, एक सैन्य गठबंधन जो अभी भी मौजूद है। इतिहासकार अक्सर ट्रूमैन के भाषण का इस्तेमाल शीत युद्ध की शुरुआत की तारीख तक करते हैं।[1]ट्रूमैन ने कांग्रेस को बताया कि "यह संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति होनी चाहिए कि वे स्वतंत्र लोगों का समर्थन करें जो सशस्त्र अल्पसंख्यकों या बाहरी दबावों द्वारा अधीनता के प्रयास का विरोध कर रहे हैं।"[2]

  1. "ट्रूमैन सिद्धांत का महत्व". Retrieved 19 मई 2022.
  2. Our Documents 100 Milestone Documents from the National Archives. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, यूएसए.