ट्रोब्रेंड द्वीप समूह न्यू गिनी के पूर्वी तट पर कोरल एटोल के 450 वर्ग किलोमीटर द्वीपसमूह हैं। वे पापुआ न्यू गिनी के देश का हिस्सा हैं और मिल्ने बे प्रोविंस में हैं। 12,000 स्वदेशी निवासियों की अधिकांश जनसंख्या किरिविना के मुख्य द्वीप पर रहते हैं, जो सरकारी स्टेशन, लॉसिया का भी स्थान है। समूह के अन्य प्रमुख द्वीपों में कैइलुना, वाकुटा और किटावा हैं। इस समूह को संरक्षण की आवश्यकता के लिए एक महत्वपूर्ण उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्र माना जाता है।

इस क्षेत्र के लोग अधिकतर बागवानीवादी हैं जो केवल पारम्परिक बस्तियों में रहा करते हैं। इन लोगों की सामाजिक संरचना मातृवंशीय कुलों पर आधारित है जो भूमि और साधनो पर नियंत्रित होती है। ट्रोब्रेंड द्वीप वासी कूला नामक परंपरा में भाग लेते है जिसमे गोलों का आदान प्रदान एक क्षेत्रीय सर्किट में होता है और समुद्र के किनारे पर व्यापार भागीदारों कि यात्रा के लिए नौकायन करते हैं। यद्यपि ट्रोब्रेंड समाज में प्रजनन और आधुनिक मेडिसिन का ज्ञान है परन्तु उनकी परंपरागत मान्यताओं में थोड़ा सा लचीलापन झलकता है। उदाहरण के लिए, गर्भवस्था का असली कारण बालोमा या पैतृक आत्मा का शरीर में प्रवेश का परिणाम माना जाता है। इस धारणा में वह आत्मा स्त्री के शरीर में प्रवेश करती है जिनके अस्तित्व के बिना वह स्त्री गर्भवती नहीं हो सकती है। ट्रोब्रेंड द्वीप वासी का प्रधान भोजन याम है।

ट्रोब्रेंड द्विप में चार मुख्य द्विपो का समूह है। सबसे बड़े वाले द्विप का नाम किरिविना है। दूसरे वाले का कैलुइन, तीसेरे का वाकूटा और किटावा भी उन में है। किरिवाना ४३ किलोमीटर लंबा है और १ से १६ किलोमीटर से चौडाई का है। १९८० के दशक में, वह द्विप पर चारो ओर साठ गाँव और लगबग १२००० लोग निवासियों का रहना माना जाता है, जबकि अन्य द्विप सैकडों की आबादी तक ही सीमित थे। किरिविना ऊँचाई पर स्थापित है लेकिन इसके बावजूद वहाँ पर हमेशा गर्मी रहती है।

इस द्विप के लोग किलिवाला नामक भाषा में संवाद करते है हालांकि यह जनजाति विभिन्न अन्य बोलियां भी बोलते है। यह एक आस्टोनेशियाई भाषा है,हालांकि संज्ञाओं वर्गीकृत करने के लिए एक जटिल प्रणाली होने का गौरव भी प्राप्त करता है। विदेशी भाषाओ का उपयोग कम किया जाता है परन्तु १९८० में इस द्विप के लोग टोक पिसिन और अंग्रेजी में बात किया करते थे। शब्द ट्रोब्रेंड खुद किलिवाला भाषा में नही है।

सात-आठ साल की उम्र में इस द्विप के बच्चे एक दसरे के साथ कामुक खेल खेलने लगते है। बच्चे बड़े लोगो की तरह पेश आने लगते है। चार-पांच साल बाद वह यौन साथी खोजने लगते है। वे अक्सर भागीदारों बदलते रहते है। महिलाए पुरुषो की तरह प्रभावी है। यह केवल अनुमित ही नही प्रोस्ताहित भी है। इस द्विप में किसी तरह का पारंपरिक विवाह नही किया जाता। एक युवति सूर्योदय से पहले घर को छोडने के बजाय अपने प्रेमी के घर में ही रहती है। आदमी और औरत सुबह में एक साथ बैठा करते हैं और वह दोनों महिला कि माता कि प्रतीक्षा करते हैं जो उनके लिए पकाया हुआ याम लाती है। शादीशुदा जोडा पेहले एक साल साथ में खाते है और उसके बाद अलग से खाते है। एक साल बाद अगर महिला अपने पति के साथ खुश नही होती तो वह उसे तलाक दे सकती है। एक शादीशुदा जोडा तब भी तलाक ले सकते है जब आदमी दूसरी औरत को चुनता है।