ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव

राजा और स्वतंत्रता सेनानी

ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव (12 अगस्त, 1817 - 16 अप्रैल, 1858) ये बड़कागढ़ के राजा थे जिन्हें सन् 1857-58 के विद्रोह के समय अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष का नेतृत्व करने के लिए फांसी की सजा दी गयी थी।

ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव
राजा
पूर्ववर्तीरघुनाथ शाहदेव
उत्तरवर्तीस्व. ठाकुर कपिल नाथ शाहदेव »स्व. ठाकुर जगन्नाथ शाहदेव »स्व. ठाकुर देवेन्द्र नाथ शाहदेव »स्व. ठाकुर बगलेश्वर नाथ शाहदेव »ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव (वर्तमान में)
जन्म12 अगस्त 1817
सतरंगी, बड़कागढ़, लोहरदग्गा , झारखंड
निधन16 अप्रैल 1858 (आयु 40 वर्ष)
राँची, झारखंड
जीवनसंगीबानेश्वरी कुंवर
संतानकपिलनाथ शाहदेव
घरानाबड़कागढ इस्टेट राज परिवार
पितारघुनाथ शाहदेव
माताचनेश्वरी कुंवर

ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का जन्म 12 अगस्त सन् 1817 ई० में बड़कागढ़ की राजधानी सतरंगी में हुआ था। [1] [2] [3] उनके पिता ठाकुर रघुनाथ शाहदेव और माता चानेश्वरी देवी थे। बड़कागढ़ स्टेट उनके पितामह ठाकुर नाथन शाहदेव को नागवंशी महाराजा से प्राप्त हुई थी। बचपन से ही वे अंग्रेजी शासन के खिलाफ थे। अंग्रेजों के खिलाफ धीरे-धीरे वे जनता को संग्रहित करना शुरू करने लगे। 1840 में पिता की मृत्यु के बाद विश्वनाथ शाहदेव ने बड़कागढ़ की गद्दी संभाली। इसके लिए उन्होंने मुक्ति वाहिनी सेना बनाना शुरू किया।

तत्कालीन बिहार में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ चिंगारी सुलग रही थी। बाबू कुंवर सिंह एवं अन्य रजवाड़े ब्रिटिश नीति से बेहद नाराज थे। अंग्रेजों के टैक्स एवं लगान ने जनता को तबाह किया हुआ था। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने छोटा नागपुर की जनता एवं जमींदारों को ब्रिटिश सत्ता से मुक्ति के लिए उलगुलान छेड़ दिया। इस अभियान में पांडेय गणपत राय, जय मंगल सिंह, नादिर अली खान, टिकैत उमराव सिंह, शेख भिखारी, बृजभूषण सिंह, चामा सिंह, शिव सिंह, रामलाल सिंह और विजय राम सिंह इकट्ठा होना शुरू किए, जिनका नेतृत्व ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने स्वीकार किया। मंगल पांडेय के मेरठ छावनी में 1857 में कारतूस कांड में विद्रोह हो चुका था।

रामगढ़ में ब्रिटिश छावनी एवं रामगढ़ बटालियन में भी विद्रोह की आग सुलग रही थी। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने यहां शेख भिखारी और उमराव सिंह को भेजा। इनके संदेश के बाद रामगढ़ बटालियन में भी विद्रोह की भीतरी तैयारी शुरू हो गई। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव सैन्य संचालन की योजना बनाने लगे। सतरंजीगढ़ से अपनी राजधानी को हटिया लाने का श्रेय भी विश्वनाथ शाहदेव को ही जाता है।

1855 में ही अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूंका। अपने राज्य को अंग्रेजी सत्ता से स्वतंत्र घोषित कर दिया। डोरंडा छावनी से अंग्रेजी फौज ने हटिया पर आक्रमण किया। घमासान लड़ाई हुई एवं अंग्रेजी फौज को नुकसान झेलना पड़ा। लड़ाई के दौरान चतरा से लौटते हुए ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव पिठोरिया परगणैत जगतपाल सिंह के घर में आराम करने लगे। जगतपाल ने गद्दारी करते हुए घर की कुंडी चढ़ा दी और अंग्रेजों को खबर कर दी। वे पकड़ लिए गए। 16 अप्रैल, 1858 को वर्तमान रांची जिला स्कूल के सामने कदम्ब वृक्ष में उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की आजादी की लड़ाई से हिल गए अंग्रेजी प्रशासन ने उनके 97 गांवों की जागीर जब्त कर ली।

  1. "16 अप्रैल- बलिदान दिवस 1857 के महानायक विश्वनाथ शाहदेव जी. वो योद्धा जो रियासत का राज छोड़ युद्ध किये और प्राप्त की अमरता". dailyhunt.in. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |1= (help)
  2. "झारखंड के प्रमुख व्यक्तित्व – राजा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव 1817 -1858 ( 16 अप्रैल )". hamarjharkhand.com. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |4= (help)[मृत कड़ियाँ]
  3. "अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव". vikaspedia.in. 15 फ़रवरी 2019 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 8 मार्च 2019. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |4= (help)


झारखंड के प्रसिद्व लोग

बिरसा मुण्डा|जयपाल सिंह मुंडा|तिलका माँझी|गंगा नारायण सिंह|सिद्धू कान्हू|अलबर्ट एक्का|राजा अर्जुन सिंह| जतरा भगत|गया मुण्डा|फणि मुकुट राय|दुर्जन साल|मेदिनी राय|बुधू भगत|जगन्नाथ सिंह|तेलंगा खड़िया|रघुनाथ सिंह|पाण्डे गणपत राय|टिकैत उमराँव सिंह|शेख भिखारी|मुंडल सिंह|महेंद्र सिंह धोनी|करिया मुंडा|प्रेमलता अग्रवाल|दीपिका कुमारी|राम दयाल मुंडा|अंजना ओम कश्यप|बिनोद बिहारी महतो|शिबू सोरेन|निर्मल महतो|अर्जुन मुंडा|बाबूलाल मरांडी|रघुवर दास|हेमंत सोरेन|संबित पात्रा