ठेनुवा एक जाट वंश (गोत्र) है। [1] [2] मुरसान के जाट राजा महेंद्र प्रताप, [3] भी ठेनुवा गोत्र के थे [4] उन्होंने यह भी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1940 में जापान में भारत के कार्यकारी बोर्ड का गठन किया। [5] उन्होंने एमएओ कॉलेज के अपने साथी छात्रों के साथ वर्ष 1911 में बाल्कन युद्ध में भी भाग लिया। [6]

 

  1. "Mahendrakumāra, Parameśa Śarmā, Rājapāla Siṃha". Jat history. Madhura-Prakāśana. 1991.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 जुलाई 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जुलाई 2021.
  3. "The Role and Contribution of Raja Mahendra Pratap in Indian Freedom Movement" (PDF). मूल (PDF) से 1 दिसंबर 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जुलाई 2021.
  4. Gupta, Sourabh (28 November 2014). "3 surprising facts about Jat King at the centre of AMU row". India Today.
  5. Singh, Vir. Life and Times of Raja Mahendra Pratap. Low Price Publications (India). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788188629329. मूल से 24 फ़रवरी 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जुलाई 2021.
  6. "The Role and Contribution of Raja Mahendra Pratap in Indian Freedom Movement" (PDF). मूल (PDF) से 1 दिसंबर 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जुलाई 2021.